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विश्वकर्मा श्रम सम्मान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्राचीन भारतीय मान्यताओं से प्रेरणा लेते है। निर्माण के देवता विश्वकर्मा जी के प्रति उनकी आस्था है। उनके माध्यम से प्राचीन भारत के ज्ञान विज्ञान का बोध होता है। आज भी निर्माण की प्रेरणा लेकर भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। सत्ता में आने के बाद योगी आदित्यनाथ ने विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना तथा एक जनपद एक उत्पाद’ योजना लागू की थी। वस्तुतःयह विश्वकर्मा देव की प्रेरणा से ही किया गया कार्य था। जिसमें बड़ी संख्या में लोगों को लाभान्वित किया गया। योगी ने कहा कि पारम्परिक हस्तशिल्पी व कारीगर जब खुशहाल व समृद्ध होंगे। तभी समाज खुशहाल होगा। अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी।

वित्तीय समावेशन के साथ कारीगरों व हस्तशिल्पियों को जोड़े जाने से आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती मिलेगी। योगी ने अपने सरकारी आवास पर विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के तहत टूल किट व प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अन्तर्गत ऋण वितरण किये। उन्होंने प्रतीक स्वरूप दस लाभार्थियों को टूल किट तथा मुद्रा ऋण बैंक स्वीकृत पत्रों का वितरण किया। पूरे प्रदेश में ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ तथा मुद्रा योजना के तहत पैतालीस लाभार्थियों को साठ करोड़ रुपए का ऋण वितरित किया गया। मुख्यमंत्री ने विभिन्न जनपदों के लाभार्थियों के साथ वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद भी किया।

इस अवसर पर एमएसएमई क्षेत्र के विकास के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और सिडबी के बीच एमओयू का आदान प्रदान किया गया। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अर्थव्यवस्था और समाज की व्यवस्था के लिए हस्तशिल्पियों, कारीगरों तथा अन्य पारम्परिक उद्योगों से जुड़े लोगों को वर्तमान सरकार ने समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया है। पहले यह लोग उपेक्षित थे। उनके पास हुनर था, लेकिन मंच नहीं था। कौशल था,लेकिन प्रोत्साहन नहीं था।

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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