बिहार। जापानी बुखार को लेकर आयोजित कार्यशाला में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भी शामिल हुए. कार्यशाला के दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने जापानी बुखार पर एएनएम, आशा तथा आंगनबाड़ी सेविकाओं के लिए मस्तिष्क ज्वर पर संशोधित मार्गदर्शिका का विमोचन भी किया. इस दौरान स्वास्थ्य अधिकारियों को उन्होंने संबोधित भी किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि राज्य में एक भी बच्चे की मृत्यु व्यवस्थाओं की कमी से नहीं हो इसका पूरा ध्यान रखना है. इसके लिए हरसंभव प्रयास करना है. बच्चों को हर बीमारी से बचाना है.
प्रतिरक्षण के कार्यों का नियमित अनुश्रवण किये जाते रहना है. इसके लिए उन्होने ऐसे कार्यशाला के आयोजन की जरूरत पर बल दिया और कहा कि राज्य सरकार सभी प्रकार के संसाधन देने के लिए तैयार है. सभी जिलों के सिविल सर्जन सजग रहें. और जेई के मामलों को लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों को और अधिक समर्पित होने की जरूरत है. स्वास्थ्य अधिकारियों का मनोबल बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि हम सबको एक बेहतर टीम के रूप में अपना प्रदर्शन करना है. इस एईएस-जेई के खिलाफ लड़ाई लड़नी है और जीतना भी है.
सहयोगी संस्थाओं की तकनीकी सहायता को सराहा: स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य अधिकारियों से कहा कि राज्य में स्वास्थ्य विभाग को बिल एंड मिलिंड गेट्स फाउंडेशन, यूनिसेफ, केयर इंडिया जैसी सहयोगी संस्थाओं से तकनीकी सहायता मिल रही है और यह सराहनीय है. राज्य में पूर्व में एईएस का प्रकोप हुआ और बच्चों की मृत्यु हुई. इसका गहरा असर मुझ पर हुआ और इसके बाद यह संकल्प लिया कि बच्चों को बचाने के लिए जो कुछ भी हो सकता है इसके लिए काम करना है. इसके बाद इससे जुड़ी योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया.