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हम बैल…

हम इस धरती पर बहुत पहले से है,हम सबसे पहले के आवागमन के साधन रहे है। कहते है भगवान शिव को भी हमारी सवारी पसन्द थी ।हम उनके प्रिय में प्रिय रहे है। हमे मन्दिरो में पूजा भी जाता रहा, हम कई युद्ध भी लड़े, जंगल मे मइया गइया की सुरक्षा भी की है। हमारी मां धरती पर आए प्राणियों में शायद प्रथम भी रही है।

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सबसे पहले ईस्वर ने आत्मा के रूप में हमारी मईया गइया में निवास किया। इसीलिए तो हमारी मां औरो की भी मां कहलाती है। हम धरती के सबसे पहले अविष्कार हल को उपयोग हमी ने किया,किसानों को अनाज दिया। अन्य भाइयो के लिए चारा दिया, पर अब हमारे दिन लद गए,हमे जोतने के बजाय खाया जा रहा है। इतनी सारी खूबियों के बावजूद हमे बेवकूफी का प्रतीक माना गया। मां और बेटे में इतना भेदभाव आप को कही नहो मिलेगा।

अब तो हम किसी काम के न रहे, हमारी उपयोगिता इतनी भर है, कि कुछ लोगो के लिए हम मात्र भोजन बनकर रह गए है। हमे मरना जैसे इंसानो का अधिकार है, फिर भी हम खुश है,जो काम हम अनाज देकर करते थे। वही अब भी करते है, भूखे का पेट भरना..ईस्वर हमे इसी लायक समझ रहे है तो भी ठीक हम मरकर भी काम आते है,कुछ प्राणी तो मरकर किसी काम नही आते…हमे शुकून है हम जंगली जानवरों से लेकर….के काम आते है, फिर मिलूंगा…क्षितिज।

       डॉ रमाकांत क्षितिज

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