लखनऊ। शहर में बड़ी-बड़ी इंटीग्रेटेड टाउनशिप योजना के नियमों को ताक पर रखकर काम किया जा रहा हैं। यह हाल राजधानी का ही नहीं बल्कि प्रदेश के तमाम जिलों का है। बिल्डर नियमों को ठेंगा दिखाकर गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए मकान बनाने से कतरा रहे हैं। आवास विभाग को लगातार इसकी शिकायतें मिल रही हैं। लिहाजा अब ऐसे बिल्डरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
लगातार मिल रही शिकायतें
आवास विभाग को लगातार शिकायतें मिल रही हैं। कि इंटीग्रेटेड टाउनशिप योजना में लाइसेंस लेने वाले अधिकतर बिल्डरों ने ईडब्ल्यूएस और एलआईजी मकान नहीं बनाए हैं। यदि कहीं मकान बनाए भी गए हैं तो योजना के आखिरी छोर पर बनाए गए हैं, जिससे लेने वालों को परेशानियां हो रही हैं। उनको मकान पसंद भी नहीं आ रहे हैं। यही कारण है कि अब आवास विभाग इंटीग्रेटेड टाउनशिप योजना में लाइसेंस लेकर ईडब्ल्यूएस व एलआईजी मकान न बनाने वाले बिल्डरों पर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। आवास विभाग के अफसरों का कहना है कि विभाग शहरों में रहने वालों को जरूरत के आधार पर मकान उपलब्ध कराना चाहता है। खासकर गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों लिए मकान का निर्माण करना अनिवार्य कर दिया गया है। एलडीए, आवास विकास परिषद और नगर निगम पहले से ही अपनी योजनाओं में सभी आय वर्ग के लोगों को मकान उपलब्ध कराने में जुटे हैं लेकिन निजी सेवा शर्तों के बावजूद निजी बिल्डरों का सहयोग नहीं मिल रहा।
जांच करने के निर्देश दिए गए
अफसरों का कहना है कि लाइसेंस लेने वालों के योजना स्थलों पर जाकर जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। नियमानुसार 20 फीसदी मकान अगर नहीं बनाए गए हैं तो ऐसे बिल्डरों के खिलाफ सेवा शर्तों का उल्लंघन करने के आरोप में कार्रवाई की जाएगी। आवास विभाग से इंटीग्रेटेड टाउनशिप योजना के तहत 15 नामी बिल्डरों को लाइसेंस मिला है। इनमें से तमाम बिल्डर ऐसे हैं जिन्होंने करोड़ों रुपए के फ्लैट व मकान बना दिए। गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए इनके पास मकान नहीं है। कुछ बिल्डर सस्ते और छोटे मकान बनाने का दावा कर रहे हैं लेकिन ये फ्लैट और मकान आम आदमी की पहुंच से काफी दूर है। ऐसी दर्जनों लिखित शिकायतें संबंधित विभागों और आवास विभाग तक पहुंची हैं।