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गर्भावस्था के दौरान क्यों करता है बेवजह रोने का मन, जानिए कारण और निवारण…

जब कोई महिला गर्भवती होती है तो उससे कहा जाता है कि हर वक्त खुश रहा करो. लेकिन होता इसका उल्टा है. ज्यादातर महिलाएं इस दौरान खुद में उदास महसूस करती हैं. कई बार उनका हर वक्त रोने का मन करता है. कुछ महिलाओं के साथ ऐसा थोड़े समय के लिए होता है, वहीं कुछ महिलाएं पूरे नौ माह तक चिड़चिड़ी और उदास रहती हैं और उनका हर वक्त रोने का मन करता है. ऐसा क्यों होता है, जानिए इसके बारे में…

पहली तिमाही : प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में एस्‍ट्रोजन और प्रोजेस्‍टेरोन अपने चरम पर होते हैं. साथ ही मस्तिष्क में सेरोटोनिन नाम का हार्मोन रिलीज होता है. इस हार्मोन का संबन्ध मूड से होता है. एस्‍ट्रोजन और प्रोजेस्‍टेरोन के उतार-चढ़ाव से कई बार ये हार्मोन शरीर में बढ़ जाता है तो मूड स्विंग्स होते हैं और उदासी हावी होने लगती है. ऐसे में महिला दुखी और उदास रहती है और उसका रोने का मन करता है.

दूसरी तिमाही : कुछ महिलाओं को गर्भावस्‍था की दूसरी तिमाही और तीसरी तिमाही में भी हार्मोनल असंतुलन बना रहता है, इसलिए उनके साथ डिप्रेशन, उदासी की स्थिबिनी रहती है. शरीर में तेजी से आ रहे बदलावों के कारण एंग्‍जायटी बढ़ जाती है. इसके अलावा प्रेगनेंसी की अंतिम तिमाही में महिला को सुरक्षित प्रसव को लेकर भी चिंता सताने लगती है, जिसकी वजह से उसका तनाव और बढ़ जाता है. ऐसे में कई बार बेवजह रोने की इच्छा होती है.

क्या करें

1. अपने दिमाग को डायवर्ट करने के लिए कोई पसंदीदा काम करें. इस दौरान आप संगीत सुन सकती हैं, पेंटिंग या स्केचिंग वगैरह कर सकती हैं. इससे आपका मन भी नहीं भटकेगा और आपके बच्चे पर भी आपकी क्रिएटिविटी का असर पड़ेगा.

2. जब भी आप दुखी या उदास महसूस करें तो किसी ऐसे शख्स से बात करें जिससे बात करना आपको पसंद हो या जिसकी कंपनी को आप एन्जॉय करती हों.

3. मेडिटेशन जरूर करें. इससे आपको मानसिक रूप से शांति मिलेगी और मन की स्थिति नियंत्रित होगी. इसके अलावा कुछ समय अपने आराध्य का ध्यान करें या ओम शब्द का उच्चारण करें.

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