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हिमालय पर्वत या प्रशांत महासागर के ऊपर से क्यों नहीं उड़तीं प्लेन?

बहुत सी चीज़ें इस दुनिया में हैं, जो मौजूद हैं लेकिन इसके पीछे की वजह कोई नहीं जानता है. हालांकि हर चीज़ के पीछे अपनी एक वजह ज़रूर होती है. कई बार ये वजह वैज्ञानिक होती है तो कई बार परंपरागत भी.

हम इनसे संतुष्ट भी कभी होते हैं तो कभी नहीं हो पाते. ऐसी ही चीज़ों को लेकर मज़ेदार सवाल लोग इंटरनेट पर खूब पूछते हैं.

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कोरा पर लोग अपने मन की जिज्ञासा शांत करने के लिए तरह-तरह के सवाल करते हैं और यूज़र्स अपनी जानकारी के मुताबिक उनका जवाब देते हैं. ऐसा ही सवाल किसी ने पूछा कि कभी आपने सोचा है कि आखिर एयरलाइंस माउंट एवरेस्ट या फिर प्रशांत महासागर के ऊपर से क्यों नहीं उड़ती हैं. आखिर वो क्या वजह है, जो हमेशा इस रूट से बचकर ही चलने में भलाई समझी जाती है.

क्यों इन रास्तों से नहीं उड़ती प्लेन?
हिमालय और प्रशांत महासागर के ऊपर से उड़ानें भरने से एयरक्राफ्ट इसलिए बचते हैं क्योंकि ये फ्लाइट के लिए सही स्थितियां नहीं हैं. आम तौर पर फ्लाइट हवा में 30 हज़ार फीट की ऊंचाई पर उड़ती है, ताकि मौसम के बदलाव या किसी और अप्रिय घटना से बचा जा सके. हिमालय में सभी चोटियों की ऊंचाई आमतौर पर 20 हज़ार फीट से ऊंची हैं, ऐसे में ये उड़ान भरने के लिए ठीक नहीं हैं. यहां हवा की गति भी असामान्य रहती है और ऑक्सीज़न भी कम होता है, ऐसे में यात्रियों को भी दिक्कत हो सकती है. यहां मौसम भी तेज़ी से बदलता रहता है और कभी भी आपात स्थिति आ सकती है.

एमरजेंसी की स्थिति में क्या होगा…
प्रशांत महासागर हो या फिर हिमालय की पर्वत श्रृंखलाएं, यहां नेविगेशन रडार सर्विस ना के बराबर है. ऐसे में पायलट को ज़मीन से संपर्क साधने में दिक्कत हो सकती है. इतना ही नहीं प्लेन ज़मीन के ऊपर उड़ती हैं, ताकि किसी आपात परिस्थिति में उन्हें लैंडिंग मिल सके. पर्वत चोटियों या समुद्र के ऊपर उड़ने से उन्हें एमरजेंसी लैंडिंग नहीं मिल पाएगी. ऐसे में उड़ानें घूमकर जाने में ही बेहतरी समझते हैं.

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