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चंदौली की लाइफ लाइन का पुनरोद्धार करने जा रही योगी सरकार

• दो दशकों से मरम्मत की राह देख रहे चन्द्रप्रभा डैम की योगी सरकार ने ली सुध

• धान का कटोरा कहे जाने वाले चंदौली के चंद्रप्रभा डैम से निकलती हैं 53 नहरें

• चंद्रप्रभा डैम से हजारों किसानों के खेतों की बुझती है प्यास

• दो दशकों से मरम्मत की राह देख रहे चन्द्रप्रभा डैम की योगी सरकार ने ली सुध

• डैम के जीणोद्धार से राजदरी-देवदरी वाटरफॉल को भी पूरे साल मिलेगा पानी, बढ़ेगा पर्यटन

चंदौली। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार चंदौली की लाइफ लाइन माने जाने वाले चन्द्रप्रभा डैम का पुनरोद्धार कराने जा रही है। धान का कटोरा कहे जाने वाले चंदौली के इस डैम से 53 नहरों से हजारों किसानो के खेतों की प्यास बुझती है। लेकिन पूर्व की सरकारों ने इस बांध की सुध नहीं ली, जिससे चन्द्रप्रभा बांध की हालत और ख़राब होती चली गई।

अब करीब दो दशकों से मरम्मत की राह देख रहे चन्द्रप्रभा डैम को योगी सरकार ठीक कराने जा रही है। जिससे किसानों को खेती व पीने के लिए पर्याप्त पानी मिल सके और और डैम से होने वाले खतरों से स्थानीय ग्रामीणों को बचाया जा सके।

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डैम की मरम्मत के बाद सबसे महत्वपूर्ण वाटरफॉल राजदरी-देवदरी जलप्रपात को भी साल भर पानी मिलता रहेगा, जिससे इस क्षेत्र में पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। चन्द्रप्रभा डैम के मरम्मत और जीर्णोद्धार के लिए शासन से 1258.07 लाख रुपये की स्वीकृति मिल गई है।

चंदौली की लाइफ लाइन

चंदौली की अर्थव्यवस्था ज्यादातर कृषि व पर्यटन पर निर्भर है। ऐसे में करीब 20 वर्षों से संकट ग्रस्त घोषित हो चुके चन्द्रप्रभा डैम की ओर पहले की सरकारों ने ध्यान नहीं दिया, जिससे चंदौली में कृषि, पेयजल और पर्यटन जैसे कई समस्या आ रही है।

2002 में बांध सुरक्षा प्रकोष्ठ द्वारा चन्द्रप्रभा डैम को संकट ग्रस्त घोषित किया गया था। बांध के स्पिलवे बॉडी एवं स्लूस गेटों से पानी का रिसाव हो रहा है। स्पिलवे के डाउन स्ट्रीम में सिस्टर्न बेसिन क्षतिग्रस्त हो गया है। बांध का आपातकालीन भी गेट क्षतिग्रस्त है।

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बांध की मौजूदा स्थिति के कारण जल का पूर्ण क्षमता से भण्डारण नहीं हो पा रहा और पानी के लीकेज से नहरों से पूरी क्षमता के अनुरूप सिंचाई का काम, पशुओं व वन्य जीवों को साल भर पेयजल की व्यवस्था प्रभावित हो रही है।

जिलाधिकारी चंदौली ईशा दुहन ने बताया कि डैम के मरम्मत और पुनरुद्धार के बाद 323 मिलियन घन फीट पानी के अतिरिक्त पानी भण्डारण किया जा सकेगा, जिससे 3248 हेक्टेयर रबी एवं 1516 हेक्टेयर खरीफ की अतिरिक्त फसल की सिंचाई की जा सकेगी।

रिपोर्ट-संजय गुप्ता 

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