लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की छवि को हाथरस कांड के चलते करारा धक्का लगा है। इसीलिए प्रदेश सरकार ने डैमेज कंट्रोल के लिए कई सख्त कदम उठाए हैं। हाथरस के पुलिस अधीक्षक सहित अन्य कई पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई हुई है तो मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश देना भी डेमैज कंट्रोल का ही एक हिस्सा माना जा रहा है। इसी के साथ-साथ हाथरस कांड की आड़ में गलत खबर फैलाने और दंगा भड़काने की साजिश का खुलासा होने के बाद धरपकड़ की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। पीएफआई के चार सदस्यों को भी दिल्ली से हाथरस जाते समय गिरफ्तार कर लिया गया है, जिनके पास से काफी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री और साहित्य बरामद हुआ है।
वहीं सरकार का ध्यान इस ओर भी है कि हाथरस कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं कुछ जनहित याचिकाओं का भी मजबूती के साथ विरोध किया जाए। इसी लिए योगी सरकार ने तेजी दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि सुप्रीम अदालत जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करने की जगह सीबीआई जांच की निगरानी करे। योगी सरकार का यह कदम उसका मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में आज हाथरस कांड की सुनवाई है।
गौरतलब हो, उच्चतम न्यायालय में हाथरस कांड को लेकर कई पीआईएल दायर की गई हैं। इसी लिए योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का नोटिस मिलने का इंतजार किए बिना ही, अपनी तरफ से कोर्ट में एक हलफनामा दायर करके आरोप लगाया है कि हाथरस कांड के बहाने राज्य सरकार को बदनाम करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया, टीवी और प्रिंट मीडिया पर आक्रामक अभियान चलाए गए। हलफनामे में कहा गया है चूंकि यह मामला पूरे देश के चर्चा के केंद्र में आ गया है, इसलिए इसकी सीबीआई से जांच का आदेश दिया गया है। हाथरस कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में राज्य सरकार ने मांग की है कि माननीय उच्चतम न्यायालय को पीआईएल पर सुनवाई की जगह सीबीआई जांच की निगरानी करनी चाहिए।
इतना ही नहीं योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आधी रात को पीड़िता के अंतिम संस्कार की वजह भी बताई है,जिसके अनुसार खुफिया एजेंसियों के इनपुट थे कि इस मुद्दे को लेकर सुबह बड़े स्तर पर दंगा करने की तैयारी की जा रही है, अगर सुबह तक इंतजार करते तो स्थिति अनियंत्रित हो सकती थी। प्रदेश को दंगे की आग में झोंका जा सकता था।
बहरहाल, इसके जबाव में सुप्रीम कोर्ट योगी सरकार से यदि यह पूछ ले कि आधी रात को पीड़िता का शव जलाने की उसके पास वजह थी तो फिर उसने पुलिस अधीक्षक और अन्य कुछ पुलिस कर्मियों को निलंबित क्यों किया। खैर, राज्य सरकार ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के सामने हलफनामा दाखिल करते हुए यह मांग भी की है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई की जांच हो क्योंकि झूठे तथ्यों और धारणा के आधार पर कुछ लोग सीबीआई जांच को बाधित करने की कोशिश कर सकते हैं।
उधर, हाथरस में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। सियासी दलों को जमावड़ा थम गया है। स्थानीय पुलिस ने जिले में जाति आधारित संघर्ष की साजिश रचने, सरकार की छवि और माहौल बिगाड़ने के आरोप में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के चार लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।