हर किसी की ख्वाहिश होती है कि कोई उसे टूट कर प्यार करें व उसकी प्रेम कहानी भी सपनों जैसी सुन्दर हो। लेकिन प्यार करना एक बात है व निभाने का जज्बा होना दूसरी बात है।संबंध की आरंभ में लोग सात जन्मों की कसमें व वादे करते हैं लेकिन जब संबंध निभाने व साथ देने की बारी आती है तो पल्ला झाड़ कर किनारे हो लेते हैं। ज़्यादातर रिश्तों में ऐसा होता है जब साथ देने का बोझ एक साथी के कंधों पर होता है। ऐसे में या तो संबंध दरक जाते हैं या फिर उनसे प्यार की खुश्बू कहीं हवा हो जाती है। अगर आप भी किसी संबंध में हैं या होना चाहते हैं तो जान लें ये बातें ताकि हमेशा बनी रहे आपके संबंध में प्यार व ख़ुशी
विश्वास किसी भी संबंध की नींव होता है। इसके बिना कोई भी रिश्ता फिजूल व बेजान है। कई बार जब आप साथी के कॉल पिक न करने पर उससे तमाम सवाल जवाब करते हैं या बेवजह संदेह करते हैं तो यह भी होने कि सम्भावना है कि वो किसी महत्वपूर्ण कार्य में व्यस्त रहा हो। हर इंसान की जिंदगी में पहले से भी कुछ संबंध होते हैं जो अपना वक्त चाहते हैं।
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भारतीय समाज में ज़्यादातर औरतों से ही यह उम्मीद की जाती है कि रिश्ता बनाने व उसे संभालने की जिम्मेदारी उसी की है। लेकिन सच इससे बहुत ज्यादा अलग है। संबंध को खूबसूरत बनाने व उसे सहेजने की जिम्मेदारी उतनी ही पुरुष की भी होती है जितनी कि महिला की। जब संबंध को सहेजने के कोशिश दोनों तरह से होंगे तो यकीन मानिए आपके संबंध की बगिया कभी मुरझाने नहीं पाएगी।
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कई बार गलतफहमियों की वजह से भी संबंध में दरार आ जाती है। अगर किसी बात को लेकर आपके मन में शंका हो रही है तो उसे मन में न रखें बल्कि सीधे जाकर साथी से पूछ लें।इसके साथ ही अपने पार्टनर की मन में कोई इमेज बनाने से भी बचें महत्वपूर्ण नहीं कि अगला इंसान आपकी अपेक्षा के मुताबिक़ ही हो।