इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता है कि कभी-कभी एक ग्लास सादा पानी एक कप कॉफी या चाय से ज़्यादा संतुष्टी प्रदान करता है। पानी हमारे शरीर के लिए कितना ज़रूरी है, यह जानने के बावजूद बहुत-से लोग पर्याप्त मात्रा में पानी ग्रहण नहीं करते हैं। आवश्यक मात्रा में पानी न पीने से हमारे स्वास्थ्य पर निगेटिव असर पड़ता है व बहुत प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगती हैं। हम आपको कुछ ऐसे इशारा बता रहे हैं, जो इस बात की ओर संकेत करते हैं कि आपके शरीर को ज़रूरी मात्रा में पानी नहीं मिल रहा है, ताकि आप समय रहते हुए अपनी इस आदत को सुधार सकें।थकान
थकान और चिड़चिड़ापन शरीर में पानी की कमी की ओर संकते करते हैं। आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि रक्त और शरीर में उपस्थित अन्य फ्लूइड्स में प्रमुख रूप से पानी होता है। ऐसे में जब शरीर में पानी की कमी होती है तो रक्त गाढ़ा हो जाता है, जिसके कारण ह्रदय को ऑक्सिजन और अन्य पोषक तत्वों को शरीर में
सर्कुलेट करने के लिए ज़्यादा ऊर्जा ख़र्च करनी पड़ती है व शरीर थका हुआ महसूस करता है। इसलिए यदि आप बिना किसी कारण दिनभर थका हुआ महसूस करते हैं तो ज़्यादा पानी पीना प्रारम्भ कर दीजिए।
सिरदर्द, चक्कर या वर्टिगो
यदि आप बिना किसी कारण अक्सर सिरदर्द की शिकायत रहती है तो इसका कारण डीहाइड्रेशन होने कि सम्भावना है, क्योंकि अधिक समय तक शरीर में पानी की कमी होने मस्तिष्क में रक्त संचार और ऑक्सिजन की कमी हो जाती है। गंभीर केसेज़ में इसके कारण वर्टिगो या नॉज़िया की समस्या भी हो सकती है। इसलिए अगली बार जब कभी आपको सिरदर्द हो तो ख़ूब सारा पानी पीएं व 10 मिनट तक इंतजार करें व फिर कुछ खाएं। आपका सिरदर्द गायब हो जाएगा।
कब्ज़
कब्ज़ दूर करने का सबसे अच्छा तरीक़ा है कि अपने डायट पर फाइबर की मात्रा बढ़ाना है, लेकिन अगर इससे भी आराम न मिले तो ख़ूब पानी पीएं। यू। एस डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज़ के अनुसार, पानी फाइबर को व असरकारी बनाता है, जिससे पाचन क्रिया बेहतर होती है। फाइबर को पानी की जरूरत होती है। ऐसे में अगर हम पानी की मात्रा बढ़ाए बिना खाने में फाइबर की मात्रा बढ़ाते हैं तो कब्ज़ व पेटदर्द की समस्या होती है। स़िर्फ इतना ही नहीं, खाने को ठीक तरी़के से पचाने के लिए हमारी आंत को पानी की जरूरत होती है।इसलिए यदि आपको कब्ज़ से बचना है तो फाइबर के साथ-साथ पानी भी ख़ूब पीएं।
असंतुलित कोलेस्ट्रॉल
पानी की कमी होने पर शरीर में कोलेस्ट्रॉल का प्रोडक्शन बढ़ जाता है। ऐसा सेल्युलर वॉल्स में उपस्थित फ्लूइड को प्रिज़र्व करने के लिए होता है। इस प्रक्रिया के कारण शरीर में कोलेस्ट्रॉल का संतुलन बिगड़ जाता है।
यद्दाश्त व एकाग्रता की कमी
डीहाइड्रेशन के कारण शरीर में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, नतीजतन मस्तिष्क को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन और अन्य पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिसका दुष्प्रभाव मस्तिष्क की कार्यक्षमता पर पड़ता है व हमारी यद्दाश्त और एकाग्रता कम हो जाती है।
जोड़ों में दर्द
आपको बता दें कि हमारा कार्टिलेज व स्पाइनल डिस्क 80 फीसदी पानी से बना होता है। हड्डियों को एक-दूसरे से रगड़ खाने से बचाने के लिए शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी होना आवश्यक है। शरीर को हाइड्रेट रखने से हमारे ज्वॉइंट्स किसी भी अक्समात मूवमेंट, जैसे-रनिंग, जम्पिंग और लड़ख़ड़ाहट को एब्जॉर्ब कर लेते हैं। पानी की कमी होने पर हड्डियों में घर्षण बढ़ जाता है, जिससे जोड़ों में दर्द की समस्या होती है।
मूड स्विंग्स या चिड़चिड़ाहट
जिस तरह भूख लगने पर चिड़चिड़ाहट महसूस होती है, अच्छा उसी तरह शरीर में कमी होने पर भी चिड़चिड़ाहट और मूड स्विंग्स होते हैं। इतना ही नहीं, क्रॉनिक डीहाइड्रेशन की समस्या होने पर शरीर में हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाता है, जिसके कारण डिप्रेशन, एंज़ाइटी व मूड स्विंग्स जैसी समस्याएं होती हैं।
पेटदर्द या अल्सर
पानी, हमारे पेट में उपस्थित एसिडिट कंटेंट्स और स्टमक लाइनिंग के बीच दीवार का कार्य करता है। शरीर में लगातार पानी की कमी होने से पेट की दीवारों का सुरक्षाकवज नहीं रहता। नतीजतन लगातार एसिड के सम्पर्क में रहने से पेटदर्द और अल्सर की समस्या होती है।
मीठा और नमकीन की क्रेविंग
लीवर को शरीर को ऊर्जा प्रदान करने और ब्लड शुगर को मेंटेन करने के लिए फैट सेल्स को ब्रेक करता है। इस प्रक्रिया के लिए शरीर को पानी की
आवश्यकता होती है। शरीर में पानी की कमी होने पर लीवर इस जरूरी कार्य को नहीं कर पाता है व हमारा शरीर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए स्वीट व सॉल्टी खाद्य पदार्थ के लिए क्रेव करता है।
वजन न घटना
चूंकि पानी की कमी के कारण हमारा शरीर में संचित फैट को ब्रेक नहीं कर पाता इसलिए वज़न कम करना असंभव हो जाता है। यही वजह है कि जिम में घंटों एक्सरसाइज़ के बाद भी वजन कम नहीं होता है।
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन
यूरिनरी ट्रैक्ट को ठीक तरी़के से कार्य करने के लिए भरपूर मात्रा में पानी की जरूरत होती है। शरीर में पानी की कमी होने पर हमारे किडनी व ब्लैडर थोड़े पानी में कार्य चलाने की प्रयासकरते हैं। पानी की कमी के कारण ब्लैडर और मूत्र मार्ग में एकत्रित बैक्टीरिया शरीर नहीं निकल पाता। जिससे इंफेक्शन होने कि सम्भावना है।
शुष्क त्वचा, फटे हुए होंठ और रूसी
चूंकि हमारी स्कीन लगातार बाह्य वातावरण के सम्पर्क में रहती है, इसलिए शरीर के अन्य अंगों की तुलना में जल्दी पानी खो देती है इसलिए इसे पानी की जरूरत होती है। यही वजह है कि रूखी स्कीन डिहाइड्रेशन की पहली निशानी है। पानी की कमी होने पर पसीना कम निकलता है, जिसके कारण शरीर पर एकत्रित गंदगी और ऑयल बाहर नहीं निकल पाती है, जिसके कारण हमारी स्कीन रूखी और बेजान होती है। अगर आप चाहती हैं कि आपकी स्कीन की नमी बरक़रार रहे तो पानी से दोस्ती कर लीजिए।
उम्र से पहले बूढ़ा
हाइड्रेशन न मिलने पर स्कीन का लचीलापन कम हो जाता है। इतना ही नहीं, पानी की कमी होने पर शरीर में रक्त का प्रवाह बाधित होता है, जिसके कारण स्किन सेल्स के पुर्ननिर्माण के लिए आवश्यक न्यूट्रिएंट्स नहीं मिल पाते। यही वजह है कि लगातार बहुत दिनों तक शरीर में पानी की कमी होने के कारण चेहरे पर झुर्रियां, महीन रेखाएं, स्कीन का ढीला होना इत्यादि समस्याएं होती हैं।
मुंह से बदबू
शरीर में पानी की कमी का सबसे बड़ा इशारा मुंह से तेज़ बदबू आना है। डीहाइड्रेशन के कारण मुंह में लार का निर्माण कम हो जाता है। जिसके कारण मुंह, दांत और जीभ में बैक्टीरिया और यीस्ट तेज़ी से पनपते हैं। नतीजतन मुंह से गंदी बदबू आती है।
आंखों में परेशानी
अभी तक यह तो समझ में आ गया होगा कि पानी की कमी होने का केवल मुंह और गले पर ही प्रभाव नहीं होता है। शरीर में पानी की कमी होने पर आंखों सूखी और लाल हो जाती हैं।पानी के बिना आंसू भी सूख जाते हैं। जिसका दुष्प्रभाव आंखों पर पड़ता है, ख़ासतौर पर यदि आप कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं।
बीमार पड़ना
पानी पीने से शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। आपका शरीर के अंग मशीन की तरह कार्य करते हुए शरीर में एकत्रित वेस्ट प्रोडक्ट्स को बाहर निकालने का कार्य करते हैं।ऐसे में यदि शरीर रूपी मशीन को पानी नहीं मिलता तो वो अपना कार्य अच्छा प्रकार से नहीं कर पाता। ऐसे में हमारे शरीर के अंग पानी की कमी पूरा करने के लिए शरीर में एकत्रित जगहों, जैसे रक्त इत्यादि से पानी लेने लगते हैं। जिससे कई प्रकार की समस्याएं पैदा होती हैं।
ज़्यादा भूख लगना
डीहाइड्रेट होने पर आपके शरीर को महसूस होने लगता है कि उसे खाना चाहिए, नतीजतन हम खाने पर टूट पड़ते हैं। परिणाम यह होता है कि खाना ग्रहण करने पर शरीर को उसे पचाने के लिए ज़्यादा कार्य करना पड़ता है। जबकि पानी पीने से शरीर के अंगों का शुद्धिकरण होता है व शरीर को अपना कार्य करने के लिए ज़्यादा ऊर्जा मिलती है।
कितना पानी पीएं
यूसएस इंस्टिट्यूट ऑफ मेडीसिन के अनुसार, एक व्यस्क पुरुष को दिनभर में 3.7 लीटर और एक महिला को 2.7 लीटर तरल पदार्थ ग्रहण करना चाहिए। यदि आप व्यायाम करते हैं या गर्म जगह पर रहते हैं तो पानी की मात्रा बढ़ा दें। इसी प्रकार बुखार, उल्टी या दस्त होने पर सामान्य से अधिक पानी ग्रहण करना चाहिए।