केंद्रीय बजट से पहले वित्त मंत्रालय भिन्न-भिन्न क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व परामर्श बैठकें कर रहा है. इसी कड़ी में गुरुवार को वित्तीय क्षेत्र और पूंजी मार्केट के नियामकों व प्रतिनिधियों के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विचार विमर्श किया. इस मीटिंग में वित्तीय क्षेत्र के तमाम नियामकों और विशेषज्ञों की एक राय यह थी कि निवेशकों को मार्केट में आकर्षित करने के लिए नए सिरे से कुछ कदम उठाने की आवश्यकता है. खासतौर पर बीमा क्षेत्र व कॉरपोरेट बांड्स में नए निवेशकों को लुभाने के लिए उन्हें अलावा कर छूट देने का सुझाव कई तरफ से आया. बीमा क्षेत्र की नियामक एजेंसी इरडा के चेयरमैन सुभाष चंद्र खुंतिया ने बोला कि टर्म बीमा पॉलिसी को लेकर भी निवेशकों में बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है. इसे पेंशन स्कीम की तरह ही बढ़ावा मिलना चाहिए.बैठक में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में चल रहे संकट का मामला भी उठा. सरकारी और व्यक्तिगत कंपनियों के प्रतिनिधियों की यह मांग थी कि एनबीएफसी को अलावा पूंजी उपलब्ध कराने के लिए आरबीआई (आरबीआइ) अलग से फंड मुहैया कराए. मीटिंग में वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर व वित्त मंत्रलय के वरिष्ठ अधिकारी, आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर एनएस विश्वनाथन, सेबी के पूर्णकालिक निदेशक जी महालिंगम समेत दूसरी नियामक एजेंसियों के प्रतिनिधि और कई सरकारी बैंकों के शीर्ष ऑफिसर मौजूद थे. वित्त मंत्री पांच जुलाई को चालू वित्त साल का बजट पेश करेंगी.
बैठक के दौरान नियामकों ने क्षेत्रीय बैंकों को अलावा फंड जुटाने के लिए व्यवस्था करने का मुद्दा उठाया. सरकारी बैंकों में सरकार लगातार पूंजी निवेश कर रही है. लेकिन बैंकों के प्रतिनिधियों ने सरकार को बताया कि आने वाले दिनों में उन्हें नयी तकनीकों पर बड़ी रकम के निवेश की आवश्यकता होगी. बैंकों की फंसे लोन (एनपीए) समस्या की जटिलता को लेकर भी कुछ प्रतिनिधियों ने सवाल उठाए व बोला कि एनपीए घोषित करने व इसके लिए प्रोविजनिंग करने के मौजूदा प्रावधानों से कई तरह की दिक्कतें पैदा हो रही हैं.
इन पर विमर्श के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित होनी चाहिए जिसके सुझावों के आधार पर मौजूदा नियमों में उचित संशोधन होना चाहिए. आइडीबीआइ बैंक के सीईओ औरएमडी राकेश शर्मा ने मीटिंग के बाद बताया कि कॉरपोरेट बांड्स सेक्टर का विस्तार बेहद महत्वपूर्ण है व सरकार इसका विस्तार करना चाहती है. अगर म्यूचुअल फंड्स की तरह यहां भी निवेशकों को कुछ अलावा छूट मिल जाए तो कॉरपोरेट बांड्स में बड़ी संख्या में निवेशकों को लुभाया जा सकता है.
खुंतिया ने टर्म बीमा में निवेश करने पर निवेशकों को कुछ अलावा छूट देने की मांग की है. कुछ नियामकों ने छोटी बचत स्कीमों पर देय ब्याज दरों को लेकर भी चिंता जताई व सरकार से इस विषय में नीति में संशोधन की मांग की. वैसे यह बैंकों की बेहद पुरानी मांग है.