पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों के फंडिंग पर निगरानी रखने वाली वैश्विक संस्था फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) के तीन मेम्बर राष्ट्रों से समर्थन प्राप्त करने के बाद ब्लैकलिस्ट होने से बच सकता है। हालांकि, ये संकट अभी तक पूरी तरह टला नहीं है। पाक FATF के मेम्बर राष्ट्रों से समर्थन के लिए लगातार कूटनीतिक कोशिश कर रहा था, जिसके बाद इस्लामाबाद को वैसे राहत मिल गई है व वह ग्रे लिस्ट से ब्लैकलिस्ट में पहुंचने से बच गया।पाकिस्तान FATF के मेम्बर राष्ट्रों तुर्की, चाइना व मलेशिया से समर्थन लेने में पास रहा। FATF चार्टर के तहत, ब्लैकलिस्टिंग से बचने के लिए कम से कम तीन मेम्बर राष्ट्रों का समर्थन मिलना आवश्यक है। भले ही इमरान सरकार को इससे थोड़ी राहत मिली हो, किन्तु कूटनीतिक सूत्रों का बोलना है कि खतरा अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है क्योंकि संस्था इस साल अक्टूबर में आधिकारिक तौर पर अपना निर्णय सुनाएगी।
दुनिया भर में मनी लॉन्ड्रिंग व आतंकवादी संगठनों की फंडिंग पर निगरानी करने वाली संस्था FATF के रडार में इस्लामाबाद जून 2018 से ही है। एशिया-पैसेफिक ग्रुप (एपीजी) ने पाक की आर्थिक व्यवस्था व सुरक्षा स्थिति का मूल्यांकन करने के बाद आतंकवादी संगठनों के वित्त पोषण व मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर खतरे को उजागर किया था। एशिया-पैसेफिक की रिपोर्ट के बाद FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था।