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पर्सनल और प्रोफेशनल ज़िन्दगी के बीच ऐसे बिठाये तालमेल…

काम के बोझ और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच लोग अधिकांश खुद की अनदेखी कर देते हैं, यही कारण है कि बर्नआउट की समस्या युवाओं के साथ-साथ लगभग सभी आयुवर्ग में सामान्य हो गई है. बर्नआउट तनाव की वह स्थिति है जहां आदमी के सोचने और समझने की क्षमता प्रभावित हो जाती है. नौकरी, परिवार और खुद के बीच ठीक तालमेल बैठाकर इससे बचा जा सकता है. आइए जानते हैं इससे जुड़े विभिन्न तथ्यों के बारे में-इस तरह पड़ता प्रभाव :
– ऊर्जा का स्तर कम होने से कार्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है जिससे कार्य की गुणवत्ता और उत्पादकता प्रभावित होती है.

– निगेटिव सोच के कारण कार्य में गलतियां बढ़ती हैं जिसके लगातार बने रहने से आदमी निराश और अवसाद से ग्रसित हो जाता है.

– असुरक्षा की भावना के कारण किसी को कुछ देने की भावना खत्म होने लगती है.

– बात-बात पर गुस्सा आता है.

लाइफस्टाइल डिजीज
कारण:
– कार्य का अत्यधिक बोझ, आर्थिक चिंताएं, अकेलापन, समय का अभाव, ज़िंदगी में अनिश्चितता, अपनी बात को खुलकर कह न पाना आदि.
– व्यवहार और सोच दोनों में सकारात्मकता रखने वाले लोगों के साथ रहें. इससे आपका व्यवहार भी प्रभावित होगा.

समस्याएं जो करती हैं परेशान
– हमेशा थकावट महसूस होना, चिड़चिड़ापन, कार्य के प्रति उदासीनता, निराश और हारा हुआ महसूस करना, संयम की कमी, तार्किक सोच और सामान्य निर्णय लेने में कठिनाई, अनिद्रा, एकाग्रक्षमता में कमी आदि.

क्या करें
वो कार्य करें जिससे खुशी मिले:
विशेषज्ञाें के मुताबिक ज्यादातर लोग परिवार, कार्य  खुद के बीच पहली अहमियत परिवार को देते हैं. फिर पारिवारिक जरूरतों को पूरा करने और अधिक धन कमाने के लिए कार्य के बोझ तले दब जाते हैं. इस बीच खुद की अनदेखी करते हैं जिससे बर्नआउट की स्थिति पैदा होती है. पढऩा, लिखना, गाना, घूमना आदि जिस कार्य से खुशी मिले उसके लिए थोड़ा समय निकालें.

योग-ध्यान से बैठेगा तालमेल:
समय निकालकर योग और ध्यान करें. सारी परेशानियों को भूलकर कुछ देर खुद को उन चीजों के लिए भाग्यशाली महसूस करें जो ज़िंदगी में आपको मिली हैं और भगवान को इसका धन्यवाद दें. योग और ध्यान से क्रोध और तनाव कम होकर आदमी विनम्र होता है  दूसरों के प्रति दयालु बनता है.

जरूरतमंदों की मदद करें:
यदि आपकी मदद से किसी का भला होने कि सम्भावना है तो जरूर करें. इससे मानसिक संतुष्टि मिलती है.

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