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श्री कृष्ण के अनुसार इस वजह से अच्छे लोगों के साथ सदेव होता है बुरा

आप सभी को बता दें कि हर वर्ष आने वाली जन्माष्टमी इस वर्ष 24 अगस्त को मनाई जाने वाली है ऐसे में भगवान श्री कृष्णा ने कई ऐसी बताएं बताई हैं जो हर मनुष्य को जाननी चाहिए जी हाँ, ऐसे में भगवान कृष्णा ने इस सवाल का जवाब भी दिया है जो हर आदमी के मन में उठता है जी हाँ, हर आदमी के मन में कभी ना कभी इस तरह के सवाल जरूर उठते हैं, कि आखिर अच्छे लोगों के साथ ही बुरा क्यों होता है ऐसे में आज हम लेकर आए हैं कान्हा के द्वारा दिए गए इस सवाल का जवाब

जी दरअसल एक बार जब भगवान कृष्ण से अर्जुन ने पूछा था कि, ”है वासुदेव जो इंसान सब का भला करता है, जो इंसान अच्छा होता है एवं सदैव धर्म के मार्ग पर चलता है, उसे ही हमेशा मुश्किलों का सामना क्यों करना पड़ता है, हमेशा उसके साथ ही बुरा क्यों होता है?” इस सवाल को सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने जवाब में अर्जुन को एक कहानी सुना दी  उसी के माध्यम से उन्होंने अर्जुन को बताया कि, ”क्यों किसी अच्छे इंसान के साथ ही बुरा होता है ” आइए जानते हैं भगवान श्री कृष्ण की वह कहानी

कहानी – एक नगर में दो पुरूष रहते थे पहला व्यापारी जो बहुत ही अच्छा इंसान था, धर्म  नीति का पालन करता था, भगवान की भक्ति करता था  मन्दिर जाता था वह सभी तरह के गलत कामो से दूर रहता था वहीं दूसरा आदमी जो कि दुष्ट प्रवत्ति का था, वो हमेशा ही अनीति  अधर्म के कार्य करता था वो रोज़ मन्दिर से पैसे  चप्पल चुराता था, झूठ बोलता था  नशा करता था एक दिन उस नगर में तेज बारिश हो रही थी  मन्दिर में कोई नही था, यह देखकर उस नीच आदमी ने मन्दिर के सारे पैसे चुरा लिए  पुजारी की नज़रों से बचकर वहाँ से भाग निकला, थोड़ी देर बाद जब वो व्यापारी दर्शन करने के उद्देश्य से मन्दिर गया तो उस पर चोरी करने का आरोप लग गया

वहाँ उपस्थित सभी लोग उसे भला – बुरा कहने लगे, उसका खूब अपमान हुआ जैसे – तैसे वह आदमी मन्दिर से बाहर निकला  बाहर आते ही एक गाड़ी ने उसे मुक़ाबला मार दी वो व्यापारी बुरी तरह से चोटिल हो गया उस वक्त उस दुष्ट को एक नोटो से भरी पोटली हाथ लगी, इतना सारा धन देखकर वह दुष्ट खुशी से पागल हो गया  कहा कि आज तो मज़ा ही आ गया पहले मन्दिर से इतना धन मिला  फिर ये नोटों से भरी पोटली दुष्ट की यह बात सुनकर वह व्यापारी दंग रह गया उसने घर जाते ही घर मे उपस्थित भगवान की सारी तस्वीरे निकाल दी  भगवान से नाराज़ होकर ज़िंदगी बिताने लगा सालो बाद जब उन दोनों की मौत हो गयी  दोनों यमराज के सामने गए तो उस व्यापारी ने नाराज़ स्वर में यमराज से प्रश्न किया कि ”मैं तो सदैव ही अच्छे कर्म करता था, जिसके बदले मुझे अपमान  दर्द मिला  इस अधर्म करने वाले दुष्ट को नोटो से भरी पोटली आखिर क्यों?” व्यापारी के सवाल पर यमराज कहे ”जिस दिन तुम्हारे साथ एक्सीडेंट घटी थी, वो तुम्हारी ज़िन्दगी का आखिरी दिन था, लेकिन तुम्हारे अच्छे कर्मों की वजह से तुम्हारी मौत एक छोटी सी चोट में बदल गयीवही इस दुष्ट को ज़िंदगी मे राजयुग मिलने की सम्भावनाएं थी, लेकिन इसके बुरे कर्मो के चलते वो राजयोग एक छोटे से धन की पोटली में बदल गया ”

इस कहानी को सुनाने के बाद, श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि ”भगवान हमें किस रूप में देते हैं इसको समझ पाना बहुत ही कठिन है, परंतु यह सत्य है कि भगवान हमेशा अच्छे बुरे कर्मों का फल जरूर देते हैं अतः आदमी को चाहिए कि ज़िंदगी में आने वाली परेशानियों जी घबराना नहीं चाहिए  आदमी को सदैव अच्छे कर्म करना चाहिए क्योंकि उसका फल किसी न किसी रूप में जरूर मिलता है ”

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