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महाराष्ट्र में होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन “धारा 2023” में यूपी के 22 शहरी नदियों का होगा प्रदर्शन

• नदी शहर गठबंधन (आरसीए) का सदस्य औरंगाबाद शहरी नदी प्रबंधन योजना की करेगा शुरुआत जबकि पुणे अपने पुनर्जीवन के प्रयासों को करेगा पेश।

शहरी नदियों के प्रबंधन पर रणनीतियों पर चर्चा के लिए महाराष्ट्र में अपनी तरह के पहली बार होने वाले दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन “धारा 2023″ में उत्तर प्रदेश की 22 शहरी नदियों के विकास एंव सर्वोत्तम तरीकों तथा शहरी नदी प्रबंधन योजनाओं की जरूरत के बारे में दिखाया जाएगा।

इन 22 शहर नदी गठबंधन यानि रिवर सिटीज़ अलायन्स (आरसीए) में यूपी के वाराणसी, कानपुर, प्रयागराज, फर्रुखाबाद, मिर्ज़ापुर, मथुरा, वृंदावन, बिजनौर, मोरादाबाद, आगरा, बरेली, इटावा, लखनऊ, शाहजहांपुर, सहारनपुर, मुज़फ्फरनगर, झांसी और अयोध्या शहर शामिल हैं।

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राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) और आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय भारत सरकार (एमओएचयूए) के अंतर्गत राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान (एनआईयूए) की ओर से आरसीए के सदस्यों की वार्षिक बैठक 13-14 फरवरी 2023 को हयात होटल, कल्यानी नगर, पुणे में आयोजित की गयी है। इस आयोजन को ‘धारा (डीएचआरए) 2023’ (ड्राइविंग होलिस्टिक एक्शन फॉर अर्बन रिवर्स यानि शहरी नदियों के लिए सर्वांगीण योजना) नाम दिया गया है

राष्ट्रीय सम्मेलन "धारा 2023"

गठबंधन के सदस्यों को धारा 2023 शहरी नदी प्रबंधन पर समाधानों की जानकारी देगा जिसे वे अपने-अपने शहरों में लागू कर सकते हैं। इस कार्यक्रम में देशभर में शहरी नदियों के प्रबंधन के लिए उपयोग में लाई गई नदी से जुड़ी नई रणनीतियां और तकनीकों के मामले पेश किये जाएंगे जिसमें भू-जल प्रबंधन, बाढ़ नियंत्रण, झील और तालाब पुनर्जीवन तथा स्थानीय स्तर पर उपयोग किये हुए जल का प्रबंधन शामिल हैं।

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इस सत्र में अलग-अलग भारतीय राज्यों के प्रधान सचिव और साथ ही डेनमार्क, अमेरिका, जापान, इजराइल, नेदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के शहरी नदी प्रबंधन में विशेषज्ञ सर्वोत्तम समाधानों को सबके सामने रखेंगे। सदस्य शहरों के महानगरपालिका आयुक्तों के लिए शहरी नदी प्रबंधन पर समाधानों पर चर्चा करने और सीखने के लिए अवसर प्रदान करने के साथ धारा 2023 का भारत की जी20 प्रेसीडेंसी (अध्यक्षता) के उपक्रम अर्बन20 (यू20) के साथ गहरा तालमेल है।

यू20 के प्रमुख विषयों में से एक शहरी जल सुरक्षा को चर्चा में लाना है। शहरो में पानी की संपूर्ण सुरक्षा को बेहतर करने में स्वस्थ्य नदियों का अहम किरदार है।

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धारा 2023 के प्रारंभिक सत्र की अध्यक्षता जल शक्ति मंत्री माननीय श्री गजेंद्र सिंह शेखावत करेंगे। वहीं आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री कौशल किशोर भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे।

महाराष्ट्र के दो शहर पुणे और औरंगाबाद आरसीए के सदस्य हैं। पुणे महानगरपालिका मुला और मुठा नदी के पुनर्जीवन पर काम कर रही हैं जबकि औरंगाबाद खाम नदी के पुनर्जीवन के लिए शहरी नदी प्रबंधन योजना (यूआरएमपी) तैयार कर रहा है।

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साल 2019 से एनएमसीजी और एनआईयूए हमारे शहरों में नदी-संवेदी विकास को बढ़ावा देने के लिए एक संयुक्त उपक्रम पर काम कर रहा है। इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री द्वारा दिसंबर 2019 को राष्ट्रीय गंगा आयोग की सर्वप्रथम बैठक में नदियों के शहरों में नए विचारों के लिए किये गए आवाहन के बाद हुई।

एनआईयूए-एनएमसीजी सहकार्य के प्रमुख उपलब्धियों में से एक देशभर में 95 नदियों के “नदी शहर गठबंधन (आरसीए)” की स्थापना है। आरसीए का उद्देश्य आयुक्तों, कार्यकारी अधिकारियों, और सदस्य शहरों के वरिष्ठ अधिकारियों को शहरी नदियों के सफल प्रबंधन से जुड़े सही तरीकों की चर्चा और सीखने के लिए एक मंच प्रदान करना है।

कोट 1: हितेश वैद्य, निदेशक, राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान (एनआईयूए): “आरसीए के सदस्यों के लिए धारा 2023 एक समर्पित कार्यक्रम है। यहां शहरी नदी प्रबंधन के बढ़िया तरीकों पर विचार और नवप्रवर्तन समाधानों को साझा किया जायेगा। साल 2019 से एनएमसीजी और एनआईयूए हमारे शहरों में नदी संवेदी विकास को बढ़ावा देने की दिशा में अग्रसर है।

इस दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान महानगरपालिका आयुक्तों और वरिष्ठ अधिकारियों को विविध विशेषज्ञों और पेशेवरों से संवाद का अवसर मिलेगा। यह चर्चा हमारे शहरों के नदियों की स्थिति में सुधार के लिए उन्हें व्यावहारिक और ठोस समाधानों को सीखने और अपनाने में मदद करेगी।”

कोट 2: विक्रम कुमार, महानगरपालिका आयुक्त, पुणे: “यहां नदियों से जुड़ी सर्वोत्तम परियोजनाओं पर प्रस्तुतीकरण (प्रजेंटेशन) होगा। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और सामाजिक संस्थान हिस्सा लेंगे।

बैठक में पानी से संबंधित सभी विषयों पर चर्चा होगी और लोगों को उनके क्षेत्र के लिए एक जल प्रबंधन रणनीति को समझने में मदद मिलेगी। जापान, इजराइल और कई अन्य देशों में जल का सूक्ष्म प्रबंधन प्रभावशाली ढंग से होता है। इस सम्मलेन में उनके अनुभवों को साझा कर भारत में उसे लागू करने पर चर्चा किया जायेगा।

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