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प्रदेश में 21 दिवसीय विशेष अभियान में खोजे 3959 टीबी मरीज

प्रदेश में 21 दिवसीय विशेष अभियान में खोजे 3959 टीबी मरीज• हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर 15 मई से छह जून तक चलाया गया अभियान

लखनऊ। देश को वर्ष 2025 तक क्षय रोग मुक्त बनाने के लक्ष्य को पाने के लिए सरकार का पूरा जोर जाँच का दायरा बढ़ाने पर है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर गत 15 मई से छह जून के बीच 21 दिवसीय विशेष अभियान चलाया गया। अभियान में 95 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की गयी, 97387 लोगों के बलगम के सैम्पल लिए गए जिसमें से 87686 सैम्पल की जांच की गयी जिसमें 3959 लोगों में टीबी की पुष्टि हुई। इनका इलाज तत्काल शुरू कर दिया गया है। बैंक डिटेल निक्षय पोर्टल पर अपडेट किया जा रहा है ताकि इलाज के दौरान सही पोषण के लिए हर महीने टीबी मरीज को 500 रूपये मिल सकें।

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राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ शैलेन्द्र भटनागर का कहना है कि प्रदेश के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर टीबी से जुड़ी सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए यह 21 दिवसीय विशेष अभियान चलाया गया था। इसके तहत उन क्षेत्रों पर खास फोकस किया गया, जहाँ पिछले दो वर्ष में अधिक क्षय रोगी या कोविड के रोगी चिन्हित हुए थे। इसके अलावा उन क्षेत्रों को शामिल किया गया था जो हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से दूर स्थित थे। टीबी मुक्त पंचायत के सम्बन्ध में ग्राम सभा स्तर पर ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में जागरूकता अभियान चलाकर टीबी के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी।

प्रदेश में 21 दिवसीय विशेष अभियान में खोजे 3959 टीबी मरीज

टीबी का इलाज पूरा कर चुके 8162 महिला और 10808 पुरुष क्षय रोगियों को प्रशिक्षण प्रदान कर टीबी चैम्पियन के रूप में अभियान के दौरान उनका सहयोग लिया गया। डॉ भटनागर ने बताया कि कारागार, वृद्धाश्रम, अनाथालय, ईंट भट्ठा, स्टोन क्रशर और जिलों के कारखानों आदि को माइक्रोप्लान में शामिल कर स्वास्थ्य कर्मियों के माध्यम से टीबी की जांच में तेजी लायी गयी ताकि अधिक से अधिक लोगों का अभियान के दौरान जांच सुनिश्चित की जा सके।

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हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर आने वालों की काउंसिलिंग भी की गयी कि यदि परिवार या आस-पास के किसी भी व्यक्ति में टीबी के लक्षण जैसे- दो सप्ताह से अधिक समय से खांसी, खांसी के साथ बलगम में खून आना, सीने में दर्द, शाम के समय बुखार आना, रात में सोते समय पसीना आना और वजन कम होने की बात सामने आये तो उनको टीबी की जांच के लिए जरूर प्रेरित करें। टीबी का इलाज पूरी तरह संभव है, जांच में देरी करने से बीमारी गंभीर रूप ले सकती है और इलाज लंबा चल सकता है। अभियान के दौरान 12684 टीबी मरीजों को निक्षय पोषण किट उपलब्ध करायी गयी।

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