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स्वास्थ व भवन निर्माण पर विचार

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

लॉक डाउन में अनेक प्रकार के सार्थक शैक्षणिक प्रयास चल रहे है। लखनऊ विश्वविद्यालय ने तन,मन व भवन से संबंधित दो कार्यक्रम हुए। टेक्नोलॉजी संबन्धी बेबीनार में भवन निर्माण की मजबूती पर विचार किया गया। दूसरी तरफ तन व मन को शक्तिशाली बनाने के लिए योग का प्रशिक्षण दिया गया।

लखनऊ विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी संकाय के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा कंक्रीट टेक्नोलॉजी एंड डिजाइन स्टैण्डर्ड पर वेबीनार का आयोजन बी.टेक सिविल इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के लिए किया गया। आईआईटी बीएचयू के प्रो. वीरेन्द्र कुमार ने डिजाइन स्टैण्डर्ड पर छात्रों को विस्तृत जानकारी दी। इसके तहत साधारण पोर्टलैंड सीमेंट और पोर्टलैंड पोज़ोलेना सीमेंट का फर्क बताया गया। आईएस 456:2000 भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा जारी किया गया एक डिजाइन कोड है। जिसका उद्देश्य पूरे देश में कंक्रीट से होने वाले निर्माण कार्यों की गुणवत्ता के लिए एक मानक तय करना है।

भारतीय मानक के अनुसार कंक्रीट तैयार करने के लिए प्रयुक्त जल की मात्रा एवं गुणवत्ता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कंक्रीट से होने वाले निर्माण कार्यों के लिए गर्मी के मौसम में दस से बारह दिन एवं शीतकाल में लगभग पन्द्रह दिन की तराई आवश्यक है। जिससे कंक्रीट में मजबूती आती है। यदि निर्माण के तीन दिन बाद कंक्रीट की तराई नहीं की गई तो लगभग पचास प्रतिशत तक कंक्रीट की मजबूती कम हो जाती है। इस प्रकार कंक्रीट की मजबूती का तराई से सीधा सम्बन्ध है।कंक्रीट टेक्नोलॉजी के क्षेत्र के नए आयामों जैसे-हाई परफॉरमेंस कंक्रीट के बारे में बताया की इसके निर्माण में आमतौर पर रिसाइकिल्ड सामग्री का उपयोग होता है। जिससे इन सामग्रियों के निपटान की आवश्यकता कम हो जाती है। इनमें से कुछ सामग्रियों में फ्लाई ऐश अर्थात कोयला जलाने से अपशिष्ट उत्पाद ग्राउंड दानेदार ब्लास्ट, फर्नेस स्लैग और सिलिका धूआं शामिल हैं।

इन सामग्रियों का उपयोग करने का सबसे बड़ा लाभ सीमेंट का उपयोग करने की आवश्यकता में कमी है। सीमेंट के उत्पादन और उपयोग में कमी के कई लाभकारी प्रभाव होंगे जिसमे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के निर्माण में कमी और ऊर्जा की खपत में कमी शामिल होगी। दोनों ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति में सुधार करेंगे। यह अनुमान है कि दुनिया भर में सीमेंट का उत्पादन वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में पांच से आठ प्रतिशत का योगदान देता है। इसके अलावा,फ्लाई ऐश और फर्नेस स्लैग का उपयोग आमतौर पर सीमेंट की तुलना में सस्ता होता है और उनमें ऐसे गुण होते हैं जो अंतिम कंक्रीट की गुणवत्ता में सुधार करते हैं।

वेबिनार का आयोजन सिविल इंजीनियरिंग विभाग के इंचार्ज जीतेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा कराया गया| इसके अलावा डॉ. अमरजीत यादव, प्रशांत शर्मा, बॉबी द्वारा बलरामपुर व निवेदिता छात्रवास में योगाभ्यास सत्र का प्रारंभ किया गया है। इस योगाभ्यास के दौरान सोशल डिस्टनसिंग का पूर्णतया पालन करना सुनिश्चित किया गया है।

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