कर्नाटक के पहाड़ी जिले शिमोगा में एक किसान को 3 रुपये 46 पैसे का लोन चुकाने के लिए 15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा. घटना शुक्रवार 26 जून की है, जब पश्चिमी घाट के घने जंगलों में बसे बरुवे गांव में रहने वाले किसान आमदे लक्ष्मीनारायण के पास शहर के केनरा बैंक की शाखा से फोन आया. बैंक की ओर से किसान को लोन तुरंत चुकाने के लिए कहा गया. लोन की राशि क्या है, लोन चुकाने की आखिरी तारीख क्या है, इस बारे में किसान को बैंक की ओर से किसी तरह की जानकारी नहीं दी गई.
बैंक से इस तरह का फोन आने के बाद किसान घबरा गया और शहर की ओर निकल पड़ा. कोरोना लॉकडाउन के कारण लक्ष्मीनारायण को गांव से बैंक तक पहुंचने के लिए कोई बस नहीं मिली, जिसकी वजह से वो 15 किलोमीटर पैदल चला. लक्ष्मीनारायण जब बैंक पहुंचा तो अधिकारियों ने बताया कि लोन की बकाया राशि सिर्फ 3 रुपये 46 पैसे है. अधिकारियों की बात सुनकर किसान हैरान हो गया और तुरंत ही लोन की राशि का भुगतान कर दिया.
किसान ने लिया था 35 हजार रुपये का लोन
किसान के मुताबिक उसने 35 हजार रुपये का एग्रीकल्चर लोन बैंक से लिया था. इस लोन में से 32 हजार रुपये सरकार द्वारा माफ कर दिए गए थे. इसके बाद किसान ने कुछ महीने पहले 3 हजार रुपये देकर लोन क्लियर किया था. उन्होने कहा, जब बैंक ने मुझे तुरंत लोन क्लियर करने के लिए बोला तो मैं घबरा गया. लॉकडाउन के कारण कोई बस सेवा नहीं थी, मेरे पास कोई वाहन नहीं है, साइकिल भी नहीं है. मैं बकाया राशि को चुकाने के लिए पैदल ही बैंक की ओर निकल पड़ा. जब मैं यहां पहुंचा को मुझे पता चला कि बकाया राशि सिर्फ 3 रुपये 46 पैसे है. उन्होंने कहा कि बैंक पहुंचने के बाद उन्हें काफी झटका लगा.
वहीं, इस मामले पर बैंक के प्रबंधक एल पिंगवा ने कहा कि शाखा में ऑडिटिंग का काम चल रहा है, जिसमें सभी लोन के अमाउंट को क्लियर करना था. लोन क्लियर करने के साथ ही बैंक को किसान का साइन भी चाहिए था, जिसकी वजह से उन्हें फोन किया गया.