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समुद्र में दुश्‍मनों को पानी न मांगने देगी INS कलवरी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को मुंबई में नौसेना को मेड इन इंडिया स्कार्पीन श्रेणी की कलवरी सबमरीन सौंपी। इस दौरान उन्होंने देश को संबोधित करते हुए कहा कि इसके निर्माण प्रोजेक्ट में फ्रांस ने काफी मदद की है। कलवरी प्रोजेक्ट का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि मैं इसको स्पेशल नाम S. A. G. A. R. से बुलाता हूं। जिसका मतलब है, सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन। पीएम ने यह भी कहा कि भारत आतंकवाद, ड्रग स्मगलिंग आदि से निपटने में महत्वपूर्ण रोल निभा रहा है। इसके साथ उन्होंने कहा कि देश में पिछले तीन सालों में सुरक्षा को लेकर काफी बदलाव हुए हैं। नई तकनीकों का देश में विकास हुआ है।

स्वदेश निर्मित कलवरी सबमरीन दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में सक्षम है। आईएनएस कलवरी के निर्माण में तकनीकि दक्षता भारतीय कंपनियों को, भारतीय उद्योगों को, छोटे उद्यमियों को, हमारे इंजीनियरों को मिली है, वो देश के लिए एक तरह से खजाना हैं। ये हमारे लिए एक पूंजी हैं।
आईएनएस कलवरी की खासि‍यतें
आईएनएस कलवरी इंड‍ियन नेवी में शाम‍िल पहली समबरीन है, जो डीजल-इलेक्ट्रिक वाली है। यह इंड‍ियन नेवी के प्रोजेक्ट-75 के तहत मुंबई में माजगॉन डॉक लिमिटेड एमडीएल द्वारा फ्रैंच नौसैनिक रक्षा और ऊर्जा कंपनी डीसीएनएस द्वारा तैयार की गई है। आईएनएस कलवरी का नाम खतरनाक टाइगर शार्क के नाम पर रखा गया है। ये शार्क हिंद महासागर में घातक गहरे समुद्र शिकारी के रूप में जानी जाती हैं। स्कार्पीन स्तर की इस पनडुब्बी में उच्च स्तरीय घातक हथियार लगाए गए हैं। आवाजरहित पनडुब्बी की खास‍ियत है क‍ि डीजल और बिजली से चलने वाली सबमरीन मिसाइल और माइंस ले जाने में सक्षम है। इसका आकार हाइड्रो-डायनामिक है। इसकी स्पीड लगभग करीब 40 किलोमीटर प्रति घंटा है।
एचएमएस डॉल्‍फ‍िन पर दी गई थी ट्रेन‍िंग
इंड‍ियन नेवी को समबरीन के ल‍िए ट्रेंड करने के ल‍िए यूके की एचएमएस डॉल्‍फ‍िन बेस का इस्‍तेमाल किया गया था। 1962 में इस पर ही नेवी के पहले ग्रुप को ट्रेन‍िंग दी गई थी।
पहली समबरीन आईएनएस कलवरी
वहीं भारत में ट्रेन‍िंग पीर‍ियड के 5 साल बाद पहली समबरीन आईएनएस कलवरी 8 दिसंबर 1967 में शुरू हुई थी। कलवरी इंड‍ियन नेवी की पहली पनडुब्बी भी थी।
न्‍यूक्‍ल‍ियर पॉवर वाली पहली सबमरीन
इंड‍ियन नेवी में न्‍यूक्‍ल‍ियर पॉवर वाली पहली सबमरीन के रूप में 1988 में आईएनएस चक्र शाम‍िल हुई थी। यह सबमरीन छुपकर दुश्‍मनों पर अटैक करने में एक्‍सपर्ट थी।
नेवी में मिसाइल वाली पहली समबरीन
इंड‍ियन नेवी में मिसाइल वाली पहली समबरीन जुलाई 2000 में आईएनएस सिंधुशस्‍त्र शाम‍िल हुई थी। सिंधुशस्‍त्र से रूसी तट पर 22 जून 2000 को म‍िसाइल छोड़ी गई थी।
1971 के वॉर ऑपरेशन में शाम‍िल हुई
वहीं अगर 1971 के वॉर ऑपरेशन में भाग लेने वाली सबमरीन के बारे में बात करें तो आईएनएस करंज, आईएनएस कुरसुरा, आईएनएस खंडेरी आद‍ि शाम‍िल रही हैं।

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