लखनऊ। प्राकृतिक कृषि पद्धति से खेती करने वाला किसान सही अर्थों में पारमार्थिक योगी है उसका खेती योग्य भूमि है उस की निर्मलता के लिए वह धरती को सुजलाम शुभ लाम किसान अपने पारंपरिक ज्ञान को अपने प्रयोग के द्वारा दूसरों को भी प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करता है. अतः उसमे ज्ञान भक्ति और कर्म का मिश्रण है गौ आधारित पारंपरिक खेती का ज्ञान और उस ज्ञान में श्रद्धा का योग तथा कृषि कार्य करके कर्म योग इन तीनों का मिलाजुला रूप परमार्थ योग है. गौ आधारित कृषि करने वाले ऐसे किसानों की मदद प्रकृत स्वयं करती है. उक्त बातें लोकभारती के तत्वावधान में डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में आयोजित 6 दिवसीय शून्य लागत प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण शिविर में शिविर के मुख्य प्रशिक्षक कृषि ऋषि पदम श्री सुभाष पालेकर ने देश भर से आए 15 00 किसानों से कहीं।
कीटनाशकों के लिए कोई स्थान नहीं:-
कृषि ऋषि सुभाष पालेकर ने कहा कि शून्य लागत गौ आधारित प्राकृतिक खेती पर शीतलहर उल्लू जैसी प्राकृतिक आपदाएं किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचा सकती प्राकृतिक खेती गो केंद्रित होने के कारण प्रकृति से ही ली गई वस्तुओं को उनके मूल रूप में ही प्रयोग करने की अनुमति देता है हमें इस खेती में कृत्रिम पदार्थों उर्वरकों कीटनाशकों के लिए कोई स्थान नहीं है इस कार्यक्रम में प्राकृतिक कृषि पद्धति की विशेषताओं को समझने के लिए लखनऊ के पूर्व सांसद लालजी टंडन प्रदेश सरकार के ग्राम विकास मंत्री डॉ महेंद्र सिंह श्री राम जन्मभूमि न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष रामविलास वेदांती लोक भारती के संगठन मंत्री बृजेंद्र पाल सिंह समन्वयक महीप में प्रशिक्षण शिविर के अभियान समन्वयक गोपाल उपाध्याय संपर्क प्रमुख श्री कृष्णा चैधरी संयोजक मंडल के डॉक्टर विजय कर्ण तथा युवराज सिंह उपस्थित रहे।