रामविलास पासवान उस दिन लखनऊ में थे, मेरी उनकी मुलाक़ात लोक जनशक्ति पार्टी के गठन से पहले की है। उस दिन VVIP गेस्ट हाउस में दिनभर चली पार्टी मीटिंग, मुलाक़ातो के दौर के बाद, ये तय हुआ की दिल्ली जाने की फ्लाइट में अभी काफी वक़्त है, किउ न कोई बढ़िया फिल्म देखी जाये। तभी तय हुआ की सहारागंज में चिराग की फिल्म ‘मिले न मिले हम’ चल रही है। उन्होंने बताया कि व्यस्तता के कारण वो चाहकर भी अभी तक बेटे की इस फिल्म को देख नहीं पाए थे, पर उन्होंने इस फिल्म में चिराग की एक्टिंग की तारीफ सुनी थी।
‘चिराग’ को बहुत चाहते थे पासवान जी। वो चाहते थे चिराग बड़े हीरो बने और भारत का नाम रोशन करे।
हम लोग समय से सहारागंज पहुच गए। फिल्म वाकई अच्छी थी, फिल्म में कंगना रनोउत चिराग की हिरोइन थी, कबीर बेदी और पूनम ढिल्लो चिराग के पापा-मम्मी के रोल में थे, फिल्म में चिराग एक दौलतमंद परिवार के इकलौते बेटे को रोल में खूब जमे है। फिल्म का आइटम सॉन्ग ‘कट्टो गिलहरी’ बहुत पॉपुलर हुआ, जिसमें स्वेता तिवारी गेस्ट रोल में थी।
लगता ही नहीं की एक बेहद सौम्य, संवेदनशील राजनेता अब हमरे बिच नहीं है, सिर्फ उनकी अमिट यादे शेष है। चिराग की इस फिल्म को पासवान जी ने बहुत ध्यान और ख़ुशी से देखा, बीच-बीच में वो चिराग की एक्टिंग की तारीफ करते रहे। फिल्म के दौरान उन्होंने बेहद ख़ुशी से बताया कि चिराग मुझसे भी लंबा है। चिराग को हीरो बनाने में इनकी माँ की अहम् भूमिका है, मुझे तो राजनीति से वक़्त ही नहीं मिल पाता।
बात सिर्फ एक साथ फिल्म देखने की नहीं है। इस पूरे समय में वो देश के जाने-माने राजनेता न होकर सिर्फ और सिर्फ एक अच्छे पिता के रूप में दिखे, जो अपने बेटे से बहुत प्यार करता था, जो अपने बेटे को बड़े-बड़े नामी फ़िल्मी कलाकार कबीर बेदी- पूनम ढिल्लों के साथ हीरो के रोल में देखकर बहुत खुश था और दिल से चिराग की तरक्की की दुआ कर रहा था। पासवान जी के साथ लखनऊ में बिताई उस शाम का एक-एक पल आज भी आँखों के सामने तैर रहा है और लगता ही नहीं की एक बेहद सौम्य, संवेदनशील राजनेता अब हमरे बिच नहीं है, सिर्फ उनकी अमिट यादे शेष हैं।