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दीक्षांत का विकास अध्याय

विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह का अपना परम्परागत स्वरूप होता है। इसमें उपाधियां प्रदान की जाती है। इसके साथ ही दीक्षांत संबोधन होता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसमें एक अभिनव अध्याय जोड़ा। उन्होंने डॉ. शकुंतला मिश्र विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में एक सौ पच्चीस करोड़ रुपये की योजनाओं का लोकार्पण किया। लोकार्पित योजनाओं में काॅलेज फाॅर डेफ, निःशक्तजन हेतु विशिष्ट स्टेडियम, कृत्रिम अंग एवं पुनर्वास केन्द्र, समेकित विशेष माध्यमिक विद्यालय तथा विश्वविद्यालय परिसर में डाकघर शामिल हैं।

ज्ञान की भारतीय परंपरा

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय ज्ञान की गौरवशाली परम्परा रही है। आज हम सभी यहां इसको महसूस कर रहे हैं। किसी भी विश्वविद्यालय के लिए दीक्षान्त समारोह एक विशिष्ट अवसर होता है। दीक्षान्त समारोह प्राचीन समावर्तन संस्कार का ही परिष्कृत रूप है। शिक्षा पूरी करने के बाद विद्यार्थी का दायित्व बनता है कि वह समाज के लिए कुछ अच्छा करे।

प्रधानमंत्री का आभार

योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन की सराहना की। कहा कि हम सब प्रधानमंत्री के आभारी हैं, जिन्होंने विकलांगता शब्द को दिव्यांगता का नाम दिया। प्रधानमंत्री का मानना है कि दिव्यांग व्यक्ति में कोई न कोई दिव्य शक्ति अवश्य होती है। दिव्यांग शब्द दिव्यांगजन को प्रेरणा देता है। उस दिव्य शक्ति का उपयोग करके उन्हें मुख्य धारा से जोड़ते हुए समाज के विकास में सहभागी बनाया जा सकता है।

दिव्यांगजनों को पेंशन

कोरोना काल खण्ड में प्रदेश सरकार ने लगभग दस लाख अड़सठ हजार दिव्यांगजनों को पेंशन देने का कार्य किया। दिव्यांगजनों के जीवनस्तर में सुगमता लाने के लिए दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की ओर से सहायक उपकरण ट्राईसाइकिल और अन्य उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है।

शिक्षा नीति में ज्ञान विज्ञान

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में परम्परागत ज्ञान, आधुनिक इनोवेशन और स्टार्टअप संस्कृति को शामिल किया गया है। इसमें विशिष्ट छात्र छात्राओं को विशेष अवसर मिल सकेंगे। सरकार दिव्यांगजन के हितों के दृष्टिगत लगातार कार्य कर रही है। उन्होंने पीएचडी की उपाधि प्राप्त सुश्री श्यामली मिश्रा का उल्लेख किया। कहा कि जिनके नाम पर डाॅ शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय स्थापित है,आज उनकी पोती को उपाधि प्राप्त हो रही है। डाॅ शकुन्तला मिश्रा जी की आत्मा को भी आत्मिक सुख की अनुभूति हो रही होगी कि पहली पीएचडी की उपाधि उनकी पोती को प्राप्त हुई है। वर्तमान सरकार दिव्यांगजनों के हितों को लेकर काफी संवेदनशील है। राज्य सरकार दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार कार्य कर रही है।

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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