‘मेट्रो मैन’ ई श्रीधरन केरल में भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार होंगे. प्रदेश भाजपा प्रमुख के सुरेंद्रन ने इस बात का ऐलान किया है. इससे पहले इस साल मार्च-अप्रैल में होने जा रहे केरल विधानसभा चुनाव (Kerala assembly election) के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) की राज्य यूनिट ने बुधवार को 16 सदस्यीय राज्य चुनाव समिति का गठन किया था, जिसमें ‘मेट्रोमैन’ ई श्रीधरन (E Sreedharan) भी शामिल हैं. केरल में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन (K. Surendran) ने बयान में कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) की अनुमति से 16 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है.
इस समिति में सुरेंद्रन और श्रीधरन के अलावा, वी. मुरलीधरन, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एपी अब्दुल्लाकुट्टी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुम्मनम राजशेखरन, ओ राजगोपाल विधायक, सीके पद्मनाभन, पीके कृष्णदास और राज्य महासचिव एमटी रमेश भी शामिल हैं. इस बीच पार्टी में उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है. वहीं, 7 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) राज्य के दौरे पर आने वाले हैं और राज्य में बीजेपी की चल रही ‘विजय यात्रा’ के समापन समारोह में शामिल होंगे.
दिल्ली के विकास के प्रतीक माने जाते हैं श्रीधरन
ई श्रीधरन को दिल्ली के विकास के प्रतीक के रूप में देखा जाता है जिन्होंने दिल्ली मेट्रो को नई बुलंदियों तक पहुंचाया. इसके अलावा उन्होंने कोलकाता मेट्रो की संरचना भी तैयार की थी. ई श्रीधरन को पद्म श्री और पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है. ई श्रीधरन पेशे से सिविल इंजीनियर हैं.उनका जन्म 12 जून 1932 को केरल के पलक्कड़ में पत्ताम्बी में हुआ. उनकी शुरुआती पढ़ाई पलक्कड़ के बेसल ईवैनजेलिकल मिशन हायर सेकंड्री स्कूल से हुई. इसेक बाद कॉलेज की पढ़ाई उन्होंने पालघाट स्थित विक्टोरिया कॉलेज से की और सिविल इंजिनियरिंग की पढ़ाई आंध्र प्रदेश के काकीनाड़ा स्थित ‘गवर्नमेंट इंजिनियरिंग कॉलेज’ से पूरी की.
पोर्ट ट्रस्ट में ट्रेनी के रूप में भी कर चुके हैं काम
पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने कोझिकोड में ‘गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक’ में पढ़ाया. इसके बाद उन्होंने बॉम्बे पोर्ट ट्रस्ट में ट्रेनी के तौर पर काम किया. 1953 में उन्होंने इंडियन इंजिनियरिंग सर्विस (आईईएस) की परीक्षा पास की और दक्षिण रेलवे में उनकी पहली नियुक्ति हुई. यहां उन्होंने प्रोबेशनरी असिस्टेंट इंजिनियर के तौर पर काम किया.
1970 में डाली कोलकाता मेट्रो की नींव
साल 1970 में उन्होंने कोलकाता में देश की पहली मेट्रो की नींव डाली. उन्हें कोलकाता मेट्रो की योजना, डिजाइन और कार्यान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इसके बाद साल 1979 में उन्होंने कोचिन शिपयार्ड को जॉइन किया. 1981 में कोचिन शिपयार्ड का पहला जहाज ‘एम.वी.रानी पद्मिनी’ तैयार हुआ. इसमें उनकी बड़ी भूमिका थी क्योंकि इसके निर्माण को गति तभी मिली जब ईश्रीधरण ने कोचिन शिपयार्ड को जॉइन किया.
ऐसे जाने गए मेट्रो मैन के रूप में
इसके बाद साल 1987 में उनका प्रमोशन हुआ और उन्हें पश्चिमी रेलवे में जनरल मैनेजर बनाया गया. इसके बाद 1989 में उन्हें रेलवे बोर्ड का सदस्य बना दिया गया और 1990 में उनके रिटायरमेंट से पहले ही उन्हें कोंकण रेलवे के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर का पद दे दिया गया. कोंकण रेलवे ने इसके बाद कई रिकॉर्ड बनाए. इसके बाद साल 1997 में वह दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) का मैनेजिंग डायरेक्टर बने. उनके नेतृत्व में दिल्ली मेट्रो में भी समय सीमा के अंतर्गत कई काम सफलता पूर्वक हुए जिसके बाद उन्हें मेट्रो मैन के नाम से जाना जाने लगा.
कई सम्मान भी हैं उनके नाम
दिल्ली मेट्रो से रिटायर होने के बाद उन्हें कोच्चि मेट्रो और लखनऊ मेट्रो का मुख्य सलाहकार बनाया गया. उन्होंने जयपुर मेट्रो के लिए सलाहकार का काम किया है. साल 2005 में फ्रांस सरकार ने उन्हें Chavalier de la Legion d’honneur सम्मान दिया. टाइम मैगजीन भी उन्हें ‘एशिया का हीरो’ कह चुकी है.