भगवान श्रीराम के भक्तों का इंतजार जल्द ही खत्म होने वाला है, क्योंकि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा. उम्मीद जताई जा रही है कि तीन-चार सालों में इसे पूरा कर लिया जाएगा. इस मंदिर के ढांचे के साथ नींव पर भी काफी ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है, ताकी भूकंप, बाढ़ जैसी आपदा इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सके. आमतौर पर जब किसी इमारत की नींव पड़ती है, तो उसमें सीमेंट, गिट्टी, मोरंग, बालू, सरिया आदि का इस्तेमाल होता है, लेकिन राम मंदिर में कई खास चीजों का प्रयोग किया जा रहा है, ताकी सैकड़ों सालों तक इसकी मजबूती बरकरार रहे.
श्रीराम जन्मभूमि में नींव की खुदाई का कार्य पूरा कर लिया गया है. सोमवार को इसके लिए बकायदा राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने विशेष पूजन का आयोजन किया. मुख्य मंदिर की नींव 250 फीट चौड़ी, 400 फीट लंबी और 40 फीट गहरी है. इसमें पहले एक-एक लेयर इंजीनियर्ड फील्ड मैटीरियल बिछाया जाएगा, जिसमें सीमेंट के साथ ही अभ्रक, कंकरीट, कोयले की राख, मोरंग को तय मात्रा में मिलाया गया है. नींव की भराई से पहले निर्माण कंपनी ने परिसर में बने बैचिंग प्लांट में इसका ट्रायल किया था. वहीं लेयर बिछाने के बाद उस पर वाइब्रो रोलर चलेगा, ताकी मैटीरियल अच्छी तरह से दब जाए. ये लेयर एक फीट की रखी जाएगी.
वहीं नींव में कुछ खास पत्थरों का इस्तेमाल होगा, जो मिर्जापुर जिले से मंगवाए गए हैं. सूत्रों के मुताबिक अभी जो लेयर बिछाने का काम हो रहा है, वो प्रयोग के तौर पर धीरे-धीरे किया जा रहा, लेकिन अगले हफ्ते से इसकी स्पीड बढ़ेगी. वहीं जैसे ही नींव की भराई का काम पूरा होगा, वैसे ही ढांचे को खड़ा करने का काम शुरू कर दिया जाएगा. इसके लिए पत्थर तरासने का काम जारी है. वहीं जिन पुराने तरासे हुए पत्थरों पर मिट्टी, काई जम गई थी, उसको पहले ही साफ करने का काम शुरू कर दिया गया था.
सोमवार को हुआ था प्रायश्चित पूजन
दो दिन पहले निर्माण स्थल पर एक विशेष प्रायश्चित पूजन का आयोजन किया गया. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक हम लोग धरती को मां का दर्जा देते हैं. श्रीराम की जन्म स्थली होने के कारण ये भूमि और ज्यादा पावन है. अगले कुछ सालों में इस पर फावड़े, मशीनें आदि चलेंगी. जिस वजह से प्रायश्चित पूजन का आयोजन किया गया था.