पश्चिम बंगाल का चुनावी परिदृश्य बदला बदला दिखाई दे रहा है। कुछ दिन पहले यहां की मुख्यमंत्री जय श्री राम सुनकर नाराज होती थी। अब यहां की हवाओं जय श्री राम और वंदेमातरम गूंज रहा है। योगी आदित्यनाथ की जनसभाओं और रोडशो में यही दृश्य था।
पश्चिम बंगाल कॉंग्रेस कम्युनिस्ट और तृणमूल कॉंग्रेस का दशकों तक निजाम रहा। यह पूरा दौर ही तुष्टिकरण का था। वंदेमातरम का उद्घोष बंगाल से हुआ था। स्वतन्त्रता संग्राम में यह खूब गूंजता था। अंग्रेज इसे सुनकर परेशान होते थे। लेकिन स्वतन्त्रता के बाद यहां बनने वाली सरकारों ने भी तुष्टिकरण के चलते इससे परहेज करना शुरू कर दिया। बंगाल में योगी आदित्यनाथ की जनसभा और रोड शो में खूब भीड़ उमड़ी। योगी आदित्यनाथ ने इस उत्साह के अनुरूप लोगों को संबोधित किया। कहा कि बंगाल की धरती रामकृष्ण की धरती है। मैं भी राम और कृष्ण की धरती मथुरा, अयोध्या से आया हूँ। लेकिन बंगाल की इस पवित्र धरती को टीएमसी के गुंडों ने गुंडागर्दी और अराजकता की धरती बना दिया है।
कांग्रेस वामपंथी दलों और टीएमसी ने यहां के पूरे वातावरण को अराजकता में बदलकर तुष्टीकरण की भेंट चढ़ा दिया है। जबकि बंगाल ने देश को राष्ट्रगान दिया है,राष्ट्रीय गीत दिया है। बंगाल क्रांतिकारियों की भूमि रही है। बंगाल में तुष्टिकरण के नाम पर बहुसंख्यक समुदाय की भावनाओं के साथ खिलवाड़ हो रहा है। दो साल पहले यहां की सरकार ने दुर्गापूजा को प्रतिबंधित करने का कार्य किया था,तब कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा था कि जब दुर्गापूजा उत्तर प्रदेश में हो सकती है तो बंगाल में क्यों नही हो सकती।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यहां परिवर्तन आवश्यक है। क्योंकि ममता दीदी अब तक भाजपा का विरोध करती थीं। लेकिन व भगवान राम का भी विरोध करने लगी हैं। गोस्वामी जी ने लिखा है- “जाके प्रिय न राम वैदेही, तजिये ताहि कोटि बैरी सम, जद्दपि परम सनेही”।
अर्थात जो राम का विरोधी है,मां जानकी का विरोधी है,वह चाहे कितना भी आपका प्रिय क्यों न हो,उसको एक बैरी की तरह पूरी तरह त्याग देना चाहिए। देश और बंगाल के हित मे यह जरूरी हो गया है।
इस रामद्रोही, भ्रष्टाचारी और गुंडागर्दी को संरक्षण देने वाली टीएमसी की सरकार को सत्ता से हटाकर,बंगाल के अंदर बंगाल के महापुरुषों की भावनाओं के अनुरूप सरकार बनानी है। जिन्होंने बंगाल को “सोनार बांग्ला” बनाने के सपने को देखा था और संकल्प लिया था।