दिल्ली सरकार ने पिछले हफ्ते एकीकृत कोविड़ कंट्रोल कमांड की स्थापना की है। इसे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश किया। जबकि वह कोरोना पर देश के सर्वाधिक वाचाल मुख्यमंत्री है। ऐसा करके वह अपने को बहुत सक्रिय व जन हितैषी दिखाना चाहते है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना की पहली लहर के समय प्रदेश के सभी जनपदों में एकीकृत कोविड़ कंट्रोल सेंटर की स्थापना कर दी थी। इसी के साथ उन्होंने निगरानी समितियों का भी गठन कराया था।
इनके माध्यम से आपदा प्रबंधन को प्रभावी बनाया गया था। दूसरी लहर की शुरुआत में ही एकीकृत कोविड़ कंट्रोल सेंटर व निगरानी समितियों को पुनः सक्रिय किया गया। योगी आदित्यनाथ जनपदों में जाकर स्वयं इनका जायजा ले रहे है। अपनी यात्राओं के दौरान वह किसी ना किसी गांव में भी जाते है। यहां के लोगों से सीधा संवाद करके वह वस्तुस्थिति का आकलन करते है।
इस क्रम में वह बाँदा जिला मुख्यालय के समीपवर्ती ग्राम बड़ोखरखुर्द पहुंचे। उन्होंने कन्या विद्यालय में निगरानी समिति के सदस्यों से बातचीत की। उनका हालचाल लेते हुए गांव में कोरोना संक्रमण और टीकाकरण के बारे में जानकारी ली। कहा कि संक्रमण रोकने के लिए निगरानी समितियों को अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। सभी को मिलकर गांवों को संक्रमण से मुक्त कराकर सभी काे टीकाकरण के लिए प्रेरित करना है।
समिति के सदस्यों को जिम्मेदारी के प्रभावी निर्वाह के लिए प्रेरित किया। प्रत्येक जिले में समय से जांच और निगरानी समितियां गांव गांव भेजकर दवाएं वितरित कराई गईं हैं। लोगों की जागरूकता व निगरानी समितियों की सक्रियता से कोरोना पर जीत मिली है। वह वैक्सीन लगवा चुके अनेक लोगों से भी मिले। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बुंदेलखंड आक्सीजन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा।
यहां के जिलों में नौ आक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में कोरोना के खिलाफ प्रदेश सरकार ने लड़ाई लड़ी है। पहली आक्सीजन एक्सप्रेस चलाकर दूसरी लहर में मरीजों के लिए आक्सीजन का इंतजाम किया। कोरोना के खिलाफ इस जंग में वायुसेना के विमान तक लगाए। प्रदेश के प्रत्येक जिले में आक्सीजन निर्भरता का लक्ष्य पाने के लिए तीन सौ आक्सीजन प्लांट लग रहे हैं। संक्रमण के समय में प्रदेश में रिकवरी रेट बढ़ा है। पॉजिटिविटी करीब दो प्रतिशत के है। और रिकवरी तिरानबे प्रतिशत है। इसके अलावा टेस्ट बढ़ाए गए हैं। करीब चार करोड़ सत्तर लाख जांचें हुईं हैं।