लखनऊ। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव और इससे राहत में होम्योपैथिक दवाईओं की उपयोगिता, कार्यकरिता और इसके सकारात्मक परिणामों के कारण आम जनता में होम्योपैथी के प्रति विश्वास बढ़ा है। इसलिए इसके उपचारात्मक गुणों एवं विशिष्टताओं को आम लोगों तक पंहुचाना वर्तमान समय की एक बड़ी जरूरत है। यह विचार केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद के पूर्व सदस्य एवं वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. अनुरूद्व वर्मा ने व्यक्त किये हैं।
उन्होंने बताया कि विगत वर्ष जब देश कोरोना वायरस के चपेट में आया था उसी समय से देश और विदेश में होम्योपैथिक दवाओं के प्रयोग, उसके लाभ, गुणवत्ता पर शोध और उपचार पर कार्य प्रारम्भ कर दिया था जिसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुये थे। इसी क्रम में आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने भी एडवाइजरी जारी कर इम्युनिटी विकसित कर कोरोना की रोकथाम के लिये होम्योपैथिक दवाई आर्सेनिक एल्बम 30 के प्रयोग की सलाह दी थी। जिसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं और अब आयुष मंत्रालय ने हल्का और मध्यम रोगियों में भी होम्योपैथिक दवाईओं के प्रयोग के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है।
डॉ. अनुरूद्व ने कहा कि यदि यह निर्णय पहले लिया गया होता तो कोरोना के नियंत्रण में बेहतर परिणाम प्राप्त होते। उन्होंने सरकार से अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित रोगियों के उपचार में भी होम्योपैथिक दवाओं के प्रयोग की अनुमति देने की मांग की है। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ- साथ इससे राहत में भी होम्योपैथिक दवाइयाँ बेहद उपयोगी साबित हुई हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना के सामान्य लक्षणों में होम्योपैथिक दवाएँ ऐकोनाइट, आर्सेनिक, ब्रायोनिया, एपिटोरिउम पर्फ, जेल्सीमियम, रस टॉक्स, बेलाडोना, ऐन्टिम टार्ट आदि दवाइयों ने बहुत ही अच्छी भूमिका निभाई है।
उन्होंने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में भी होम्योपैथिक दवाइयों वैनेडियम, एस्पीडोस्पर्मा, कार्बो वेज, वेरेटरम एल्बम, न्यूमोकोकस नम आदि ने लोगों की जान बचाने में मदद की है। उन्होंने बताया कि महज किताबी ज्ञान, व्हाट्सएप, यू ट्यूब से प्राप्त भ्रामक जानकारियों के आधार पर किया गया कोई भी उपचार नुकसानदायक हो सकता है इसलिए किसी प्रशिक्षित होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह और देखरेख में ही होम्योपैथिक दवाओं का प्रयोग करना चाहिए।
डॉ. वर्मा कहा कि कोविड 19 की गाइडलाइन का पालन करते हुए होम्योपैथिक दवाइयों का प्रयोग कोरोना संक्रमण को काबू करने मेँ काफी मददगार साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को क्लेम करने के बजाए परिणामों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। वर्तमान में चिकित्सा पद्धतियों के मध्य उपजे विवाद पर उन्होंने कहा कि यह समय विवाद, आरोप-प्रत्यारोप का नहीं बल्कि लोगों की जान बचाने का है हमें उस दिशा में कार्य करना चाहिए।