सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने की ओर कदम- संजय कुमार सिंह
पटना। “राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए गुणवत्ता एक नई अवधारणा थी जो अपने प्रारंभिक वर्षों में बुनियादी ढ़ाँचे, फण्ड और मानव संसाधन आदि के मुद्दों से जूझ रही थी। सरकारी अस्पताल राज्य में विशेष रूप से गरीबों, आम जनता और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए उपलब्ध स्वास्थ्य सेवॉओं का मुख्य आधार है। इसलिए राज्य के लिए अपनी विभिन्न सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में गुणवत्ता सेवॉए सुनिश्चित करना अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाता है। विगत वर्षों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं की आवश्यकता को महत्व मिला है”, उक्त बातें गुणवत्ता यकीन कार्यक्रम के अम्पने संबोधन में मंगल पांडेय, स्वास्थ्य मंत्री बिहार सरकार ने कही.
गुणवत्ता से स्वास्थ्य सेवाओं की बनेगी पहचान: स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य के स्वास्थ्य सेवाओं की छवि अस्पतालों में किये जा रहे गुणात्मक सुधार से संबद्ध होता है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा अस्पतालों और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में हर तरह से सभी स्तर पर सुधार किये जा रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री ने बताया विगत दिनों में अस्पतालों की गुणवत्ता में सुधार हुआ है लेकिन अभी और बेहतर करने की संभावना है. गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने वालों को सम्मान देने में मुझे गर्व का अनुभव होता है और मेरी सभी से अपेक्षा है की ज्यादा से ज्यादा संस्थान बेहतर कर पुरस्कार प्राप्त करें.
स्वास्थ्य संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार स्वास्थ्य विभाग का संकल्प: कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति, संजय कुमार सिंह ने कहा स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए विभाग लगातार प्रयासरत है और इस कड़ी में संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार करना इसका प्रमुख अंग है. स्वास्थ्य विभाग निरंतर प्रयास कर रही है कि अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं अन्य चिकित्सीय संस्थानों में ढांचागत सुधार के साथ सभी मानकों पर नवीनीकरण हो सके और जनमानस को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सीय सुविधा के लिए राज्य से बाहर का रुख नहीं करना पड़े. पुरस्कार एवं सर्टिफिकेट प्रदान कर सभी का मनोबल बढ़ाना भी इसी का एक छोटा सा प्रयास है.
“कायाकल्प”
अपर कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति, केशवेन्द्र कुमार ने बताया भारत सरकार द्वारा मई 2015 में सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में मरीजों की सुरक्षा के उद्देश्य से स्वच्छ भारत अभियान कार्यक्रम (कायाकल्प) की शुरूआत की गई। बिहार राज्य में दिनांक 21 अगस्त 2015 को राज्य एवं जिला स्तरीय प्रतिनिधियों का Awareness cum Sensitization Workshop आयोजित कर कायाकल्प कार्यक्रम प्रारंभ हुआ, जिसके परिणाम स्वरूप स्वच्छता, रोगी संतुष्टि, संक्रमण नियंत्रण एवं जैव चिकित्सा अवशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं में सुधार हुआ है तथा स्वास्थ्य संस्थानों के बीच एक स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा विकसित हुई है।
स्वास्थ्य कर्मियों की मेहनत से बदलाव संभव: अपर कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति, अनिमेष कुमार पराशर ने कहा कायाकल्प अवॉर्ड के द्वारा स्वास्थ्य संस्थानों के कर्मियों के प्रयासों को पहचानना और उसकी सरहाना करना है। मानक प्रथाओं को सुनिश्चित करना, संक्रमण नियंत्रण प्रथाओं में सुधार करना विषेष रूप से कर्मचारियों के व्यवहार और दृष्टिकोष को बदलना अत्यन्त कठिन था। परन्तु स्वास्थ्यकर्मियों के निरंतर प्रयासों के परिणाम स्वरूप वर्ष 2019-20 में बिहार के कुल 48 स्वास्थ्य संस्थान एवं 2020-21 में 85 स्वास्थ्य संस्थान कायाकल्प अर्वाड से पुरस्कृत हुए है।
इसी क्रम में शुक्रवार को एयरपोर्ट रोड स्थित आरण्य भवन में उक्त कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सभी विजेता संस्थानों(8 लक्ष्य, 4 कायाकल्प एवं 2 NQAS राष्ट्रीय स्तर के विजेता) को स्वास्थ्य मंत्री द्वारा पुरस्कृत किया गया. उक्त कार्यक्रम की शुरुआत पोस्टर प्रतियोगिता द्वारा की गई, जिसमें बाद में गुणवत्ता संबंधी Quiz Competition का आयोजन किया गया, इनके विजेताओं को भी माननीय मंत्री स्वास्थ्य श्री मंगल पाण्डेय जी द्वारा पुरष्कृत किया गया।
इस अवसर पर कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार संजय कुमार सिंह, अपर कार्यपालक निदेशक केशवेन्द्र कुमार एवं अनिमेष कुमार पराशर, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, मातृ स्वास्थ्य डॉ. सरिता सहित सभी गणमान्य पदाधिकारी, विभिन्न जिलों से आये स्वास्थ्यकर्मी एवं चिकित्सक आदि उपस्थित थे।