सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा पर खेद जताते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया। शीर्ष अदालत ने कहा कि जब ऐसा कुछ होता है तो कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है।
अदालत ने कहा, “जब ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होती हैं तो कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेता है।” शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी किसान महापंचायत द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन (जिसे वह सत्याग्रह कहते हैं) करने की अनुमति मांगी गई थी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने जिले में सोमवार को इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया और राजनेताओं को लखीमपुर खीरी के तिकोनिया में प्रवेश करने से रोक दिया, जहां विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल के लंबे प्रदर्शन में आठ लोग की मौत हो गई है।
इस हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें से चार किसान थे। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया है कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे के काफिले की एक कार प्रदर्शनकारियों के ऊपर चढ़ गई, जो केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर लौट रहे थे।