पाकिस्तान ने जंग और सर्जिकल स्ट्राइक में हमेशा शिकस्त झेली है। क्रिकेट की जीत ही उसे जश्न का मौका देती है। इस बार भी यही नजारा था। खैर यह उनका आंतरिक मसला हुआ। लेकिन उसके जश्न में भारत के चंद लोगों का शामिल होना शर्मनाक है। यह विषय मात्र खेल तक सीमित नहीं है। इसका अपरोक्ष संबन्ध राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। दुनिया का कोई देश ऐसे प्रकरण को नजरअंदाज नहीं कर सकता।
जबकि पाकिस्तान का मंत्री जश्न मनाने वाले भारतीयों का शुक्रिया अदा कर रहा है। सवाल यह है कि जंग के समय इन भारतीयों की क्या भूमिका होगी। वैसे भी पाकिस्तान से भारत के रिश्ते कभी बेहतर नहीं रहे। वह आतंकी मुल्क है। वहां आतंकी संगठनों को संरक्ष्ण मिलता है। सेना और वहां की गुप्तचर संस्था आतंकी संगठनों को ट्रेनिग प्रदान करते है। सीमा पार से आतंकी गतिविधियां चलाई जाती है। इस माहौल में पाकिस्तान के जश्न में शामिल होना सामान्य बात नहीं है।
ऐसे सभी लोगों को चिन्हित करना सरकार की जिम्मेदारी है। इन तत्वों पर नजर रखनी होगी। पाकिस्तान की सरकार ने ऐसे भारतीयों को अपना बताया है। यह बिडंबना है कि अपने को सेक्युलर बताने वाले किसी भी विपक्षी नेता ने ऐसी हरकत को निंदनीय नहीं बताया है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कदम सराहनीय है। पाकिस्तान के जश्न में शामिल तत्वों को देशद्रोह का आरोपी बनाया जाएगा। इस संबन्ध में जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश किया गया है। कहा गया कि ऐसे तत्वों को चिन्हित करके त्वरित कार्रवाई की जाए। टी ट्वेंटी क्रिकेट विश्व कप में भारत-पाकिस्तान के मैच जितने पर कुछ शहरों में पाकिस्तान के समर्थन में भारत विरोधी नारेबाजी हुई थी।
इन्होंने आतिशबाजी भी की थी। कई लोगों ने तो अपने मोबाइल के व्हाट्सअप पर पाकिस्तान का समर्थन करते हुए स्टेटस लगाया था। इससे अन्य सभी भारतीयों की भावनाएं आहत हुई थी। योगी आदित्यनाथ सरकार ने ऐसी सभी घटनाओं का जिला प्रशासन से ब्यौरा मंगाया है। पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल ने सभी जिलों को ऐसे तत्वों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए है। यह बात भी उजागर होनी चहिए की इनमें से कितने लोग सरकार की निशुल्क योजनाओं का लाभ उठा रहे है। यह देखना दिलचस्प होगा। भारत में सुविधाओं लाभान्वित होने वाले पाकिस्तान के हमदर्द कैसे हो सकते है। विभाजन के समय भारत से गए लोग पाकिस्तान में आज तक मोहाजिर ही है। इन्हें वहां दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है।
सिंध व बलूचिस्तान के लोगो को वहां आज भी प्रताड़ित किया जाता है। फिर भी भारत के चंद लोग इससे सबक नहीं लेना चाहते। यदि ऐसे लोगों को पाकिस्तान चले जाने की नसीहत देता है तो किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। किंतु पाकिस्तान का समर्थन करने के प्रकरण पर खामोश रहने वाले नेता ऐसी नसीहत पर तुरंत हंगामा शुरू कर देंगे। पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री शेख राशिद खान ने कहा है कि टी ट्वेंटी वर्ल्ड कप में भारत के खिलाफ पाकिस्तान की जीत इस्लाम की जीत है। हिन्दुस्तानी मुसलमानों सहित विश्व का हर मुसलमान जश्न मना रहा है। जश्न के लिए इस्लामाबाद,रावलपिंडी की ट्रैफिक पुलिस को सड़क पर रखे कंटेनर्स को हटाने के निर्देश दिए गए। जिससे लोग जीत का जश्न ऐतिहासिक तरीके से मना सके। शेख राशिद ने पाकिस्तानी टीम को बधाई दी। यहां तक तो ठीक था। लेकिन उसने इस जीत को इस्लाम से जोड़ दिया। हमारा फाइनल था।
दुनिया के मुसलमानों के साथ ही हिन्दुस्तान के मुसलमानों के जज्बात पाकिस्तानी टीम के साथ थे। सारी आलमे इस्लाम को फतेह हुई है। इस मंत्री ने यह नहीं बताया कि पाकिस्तान जब हारता था,तब किसकी शिकस्त होती थी। या पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान अरब और चीन पहुंच कर भीख मांग रहे है। उनका मंत्री क्रिकेट जीत पर उछल रहा है। भारत में अतिशबाजी करने वाले चंद लोगों ने ही पाकिस्तान को मौका दिया है। ऐसी हरकतें भारत में ही संभव है। इसके पहले अनुच्छेद 370 और सर्जिकल स्ट्राइक पर भी विपक्षी नेताओं के बयान पाकिस्तान को खुश करने वाले थे। इनके व पाकिस्तानी नेताओं में गजब की समानता थी। सर्जिकल स्ट्राइक पर पाकिस्तान ने इज्जत बचाने को कहा कि हमले में जंगल को नुकसान हुआ। हमारे कई नेता भी यही कह रहे थे। विपक्षी नेता सबूत मांग रहे थे। नवजोत सिद्धू ने कहा था कि बालकोट में हमला करने गए थे या पेड़ गिराने।
यह पाकिस्तान का बयान था। जिसे सिद्धू ने दोहरा दिया। कपिल सिब्बल कह रहे थे कि जंगल में आतंकी कैम्प नहीं होते। जबकि पाकिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण ऐसे ही जंगल में चलते हैं। महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि एयर स्ट्राइक पर प्रश्न उठाने का अधिकार है। राहुल गांधी ने पहले एयर स्ट्राइक की सफलता पर संदेह किया। इसके बाद तो उनकी पार्टी और अन्य विपक्षी नेताओं में होड़ मच गई थी। वोटबैंक की सियासत इन्हें पाकिस्तान की भाषा बोलने को विवश कर रही थी। एयर स्ट्राइक बहुत जोखिम का कार्य होता है। दुश्मन के घर में घुसकर मारने वाले अपनी जान हथेली पर लेकर जाते हैं। ऐसे जांबाज जवान जब लौटकर आते हैं तब उनसे सवाल पूछना बेहद शर्मनाक था। भारत के इन नेताओं को अपने ही वायु सेना प्रमुख के बयान पर विश्वास नहीं था। जबकि नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने बालाकोट के कैम्प में स्ट्राइक के दिन तीन सौ एक्टिव मोबाइल कनेक्शन की पुष्टि की है।
इसका मतलब है कि वहां जैश के कैंप में तीन सौ से अधिक आतंकी थे। इस बात की पुष्टि इलेक्ट्रॉनिक तरंगो से मिले सबूतों के जरिए भी हुई। हमले के समय नैशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ने सर्विलांस शुरू कर दिया था। पाकिस्तान एयर स्ट्राइक और अनुच्छेद 370 पर जो कह रहा था,वही बात कुछ भारतीय नेता दोहरा रहे थे। सोनिया गांधी ने सर्जिकल स्ट्राइक की उन्होंने खून की दलाली बताया था। एयर स्ट्राइक के कुछ घण्टे बाद ही उन्होंने इक्कीस पार्टियों की बैठक बुला ली थी। यह सब मिलकर अपनी ही सरकार पर हमला बोलने लगे थे। उस समय पाकिस्तानी मीडिया में ऐसे भारतीय नेताओं की प्रशंसा हो रही थी। शत्रु और आतंकी मुल्क तारीफ करने लगे तो समझ लेना चाहिए कि बात राष्ट्रीय हित के अनुकूल नहीं थी। इस बार क्रिकेट में भारत की हार पर जश्न मनाने वालों की पाकिस्तानी मीडिया में प्रशन्सा हो रही है।