कुछ वर्ष पहले तक देश के करीब एक तिहाई हिस्से में नक्सली प्रकोप था। सीमापार के आतंकवाद का कोई समाधान दिखाई नहीं दे रहा है। बड़ी संख्या में संदिग्ध एनजीओ सक्रिय थे। इनके हिसाब के प्रति लापरवाही का आलम था। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद इन सभी समस्याओं पर गंभीरता पर ध्यान दिया।सरकार के प्रयासों से नक्सली समस्या का समाधान संभव हुआ। पहले कतिपय सुदूर क्षेत्रों में इन्होंने समानांतर व्यवस्था तक बना ली थी। इसको समाप्त किया गया।
इससे स्थानीय लोगों को नक्सली शोषण से मुक्ति मिली। सीमापार के आतंकवाद की समाप्ति हेतु व्यापक कदम उठाए गए। यह भारत ही नहीं विश्व की समस्या है। इसलिए नरेंद्र मोदी ने आंतरिक व अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर एक साथ प्रयास किये। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ सहित अन्य वैश्विक मंचों पर इस मुद्दे को उठाया।
आतंकवाद की समाप्ति हेतु साझा रणनीति का प्रस्ताव किया। मोदी की इस पहल को व्यापक समर्थन मिला। अमेरिका सहित यूरोप के देश भी आतंकवाद के विरुद्ध सजग हुए है। भारत के प्रयासों से आतंकवाद पर पाकिस्तान बेनकाब हुआ। पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को संरक्षण व प्रशिक्षण प्रदान करता है। इसके कारण ही अफगानिस्तान में तालिबानी सत्ता कायम हुई है। विश्व समुदाय को इस दिशा में भी कदम उठाने होंगे। पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र महासभा व जी ट्वेंटी सहित कई वैश्विक सम्मेलनों में नरेंद्र मोदी ने इस विषय को प्रभावी रूप से उठाया। इसके साथ ही भारत में विगत सात वर्षों के दौरान आंतरिक सुरक्षा के दृष्टिगत अनेक प्रभावी प्रयास किये गए है।
जम्मू कश्मीर में संवैधानिक सुधार के सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहे है। आंतरिक सुरक्षा पर व्यापक विचार हेतु उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पुलिस महानिदेशक मुख्यालय में तीन दिवसीय पुलिस महानिदेशक व पुलिस महानिरीक्षक कॉन्फ़्रेंस का आयोजन किया गया। प्रधानमंत्री इसके प्रति कितने गंभीर थे,इसका अनुमान उनके कार्यक्रम को देख कर लगाया जा सकता है। वह अपनी झांसी यात्रा से सीधे लखनऊ पहुंचे। दो दिन तक यहां प्रवास किया। करीब बीस घण्टे कॉन्फ्रेंस में व्यतीत किये। एक बार तो कॉन्फ्रेंस स्थल से उनको विश्राम हेतु राजभवन जाना था। किंतु नरेंद्र मोदी ने यह समय भी बचा लिया। वह राजभवन नहीं गए। कुछ देर पुलिस मुख्यालय में ही विश्राम किया। फिर कोंफन्स में शामिल होने चले गए। वैसे यह नरेंद्र मोदी की चिर परिचित कार्यशैली है।
गृहमंत्री अमित शाह ने इसका उद्घाटन किया था। इस कॉन्फ़्रेंस में देश के सभी राज्यों के पुलिस महािनदेशक,पुलिस महानिरीक्षक भागीदारी कर रहे हैं। इसमें आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था,उग्रवाद, आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी समयाओं और उनसे समाधान पर मंथन किया गया। नरेंद्र मोदी ने कहा कि सुरक्षा की चुनौती अब सिर्फ कानून व्यवस्था की चुनौती नहीं रह गई है, बल्कि यह चौथी पीढ़ी के युद्ध का अहम हिस्सा बन गया है। सीमा पर आमने सामने आने के बजाय दुश्मन देश के भीतर अस्थिरता पैदा करने की साजिश कर रहे हैं। कॉन्फ्रेंस में इस स्थिति से निपटने की रणनीति पर विचार विमर्श किया गया। आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सीमापार की हरकतों को भी रोकना होगा।
राज्यों में आपसी संघर्ष और भेदभाव के छोटे छोटे मुद्दों को सामान्य तौर पर कानून व्यवस्था के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। बल्कि इसे बड़ी साजिश के रूप में देखते हुए तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। प्रधानमंत्री व केंद्रीय गृहमंत्री की उपस्थिति में देर तक विचार विमर्श चलता रहा। इससे स्पष्ट है कि केन्द्र सरकार आतंरिक सुरक्षा को लेकर अत्यधिक गंभीर है। केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर आंतरिक सुरक्षा की मजबूत बना सकती है।
आतंकवाद, साइबर अपराध, तटीय सुरक्षा, नक्सलवाद,मादक पदार्थों की तस्करी आदि भी अपरोक्ष रूप में आंतरिक सुरक्षा को प्रभावित करते है। ऐसे में व्यापक रणनीति पर अमल की आवश्यकता है। नरेंद्र मोदी ने सीमा पर पलायन,देश को बदनाम करने के लिए विदेश से फंडिंग और इसमें विभिन्न एनजीओ की भूमिका पर विस्तृत चर्चा की और राज्यों की पुलिस और जांच एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाने पर जोर दिया। प्रधानमंत्री कोउत्तर प्रदेश में राष्ट्रविरोधी संगठनों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई से भी अवगत कराया गया। यहां एटीएस और एसटीएफ शांति व्यवस्था बिगाड़ने की साजिश रचने वाले संगठनों पर घुसपैठियों को सबक सिखा रही है। उन पर नकेल कसी जा रही है। इसके साथ ही माफिया और भू माफियाओं के खिलाफ अभियान भी संचालित किया जा रहा है।