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टीले वाली मस्जिद बनाम लक्षमणटीला : स्वार्थ के चलते आपसी सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश में कट्टरपंथी

  • टीले वाली मस्जिद के मौलाना बोले, प्रशासन उठाये सख्त कदम, रोके यात्रा

  • लक्ष्मणटीला के अस्तित्व को लौटाने की शुरूआत है संकल्प यात्रा-ऋषि त्रिवेदी

  • Published by- @MrAnshulGaurav
  • Thursday, May 19, 2022

लखनऊ। अखिल भारत हिन्दू महासभा की आगामी 22 मई को निकाली जाने वाली लक्ष्मणटीला मुक्ति संकल्प यात्रा को लेकर मामला गरमा गया है। यात्रा को लेकर टीले वाली मस्जिद के मौलाना फजल उर मन्नान ने इसे कानून व्यवस्था को लेकर चिन्ता जतायी है और चेतावनी दी है कि 1090 चौराहे पर ही यात्रा को प्रशासन को रोक दें अन्यथा यात्रा को हम अपनी कौमों के साथ मिलकर रोकेंगे।

टीले वाली मस्जिद बनाम लक्षमणटीला : स्वार्थ के चलते आपसी सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश में कट्टरपंथी

वहीं दूसरी ओर, हिन्दू महासभा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष ऋषि त्रिवेदी ने साफ कहा कि पहले से तय लक्ष्मणटीला मुक्ति संकल्प यात्रा हर हाल में निकलकर रहेगी, यह अभी शुरूआत है और मुगलकाल के दौरान, आक्रांताओं द्वारा लक्ष्मणटीला पर बनायी गयी टीलेवाली मस्जिद को हटाने के लिये हर स्तर पर लड़ाई लड़ी जायेगी।

खुफ़िया तंत्र हुआ सक्रिय

हालांकि, जिला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार लक्ष्मण टीला मुक्ति संकल्प यात्रा को लेकर हिन्दू महासभा की ओर से कोई अनुमति नहीं मांगी गयी है, फिर भी सोशल प्लेटफार्म और मीडिया में आ रही खबरों पर नजर रखी जा रही है इसके अलावा, बताया जा रहा है कि स्थानीय खुफिया तंत्र सक्रिय हो गया है और यात्रा से जुड़ी जानकारियों को एकत्र कर उस पर समीक्षा कर रही है।

राम-मंदिर का मसला सुलटते ही बिलों से बाहर निकले कट्टरपंथी

मालूम हो कि हाल के कुछ माह से राम मन्दिर का मामला हल होने के बाद देशभर में मुगलकाल के दौरान, मन्दिरों को क्षतिग्रस्त कर बनायी गयी मस्जिदों की जांच कर मन्दिरों के वास्तविक स्वरूप में लौटाने की लड़ाई तेज हो गयी है। इसके लिये हिन्दू महासभा सहित, कई हिन्दूवादी संगठन मैदान में उतर चुके हैं।

इसी क्रम में अखिल भारत हिन्दू महासभा, उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष ऋषि त्रिवेदी लक्ष्मणटीला की मुक्ति के लिये बराबर रणनीति तैयार कर रहे हैं। इसी रणनीति के तहत, आगामी 22 मई को लक्ष्मण टीला मुक्ति संकल्प यात्रा को निकालने का निर्णय लिया है। यही नहीं, बल्कि, इस यात्रा को लेकर सभी तैयारियां भी पूरी कर ली गयी हैं।

लोहिया पथ से लेकर शहीद स्मारक तक : हर शाख़ पर…..अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा??

तैयार किये गये यात्रा के कार्यक्रम के अनुसार, 22 मई को अपराह्न 3:00 बजे 1090 चौराहा से लोहिया पथ से होते हुए मुख्यमंत्री आवास, राजभवन के समक्ष अटल चैराहा, हजरतगंज, हलवासिया मार्केट, परिवर्तन चौक, स्वास्थ्य भवन, शहीद स्मारक होते हुए लक्ष्मण टीला पहुँच कर समाप्त होगी। हिन्दू महासभा के नेता ऋषि त्रिवेदी ने बताया कि लक्ष्मण टीला को लेकर पूरा हिन्दू समाज ही नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय भी इसकी पूरी सच्चाई जानता है कि टीले वाली मस्जिद को लक्ष्मण टीले की जगह पर निर्मित करायी गयी थी। इसके कई उदाहरण इतिहास में देखने को मिल जायेंगे।

टंडन चले गए किताब छोड़ गए….!!

लखनऊ के पूर्व सांसद स्वर्गीय लालजी टंडन ने अपनी पुस्तक अनकहा लखनऊ में लक्ष्मणटीला का जिक्र किया है। इससे साफ कहा गया है कि लखनऊ के पौराणिक इतिहास को नजरअंदाज कर, नवाबी कल्चर को प्रदर्शित करने के लिये लक्ष्मण टीला के अस्तित्व को मिटाने का काम किया गया। यही नहीं, लक्ष्मण टीले पर शेष गुफा थी जहां बड़ा मेला लगता था। खिलजी के वक्त यह गुफा ध्वस्त की गई। बार-बार इसे ध्वस्त किया जाता रहा और यह जगह टीले में तब्दील हो गई। औरंगजेब ने बाद में यहां एक मस्जिद बनवा दी।

’57 से ’47 तक आज़ादी के लिए हिंदू-मुस्लिम दोनों ही लड़े थे अंग्रज़ों से….ये भूल गए!!

लल1857 के बाद, अंग्रेज यहां बनी गुलाबी मस्जिद के ऊपर घोड़े बांधने लगे। बाद में राजा जंहागीराबाद की गुहार पर अंग्रेजों ने मस्जिद को खाली कर दिया। हर दौर में इसका नाम लक्ष्मण टीला बना रहा, लेकिन पिछली सपा सरकार में लक्ष्मण टीला का नाम पूरी तरह मिटाकर, इसे टीले वाली मस्जिद कर दिया। चार वर्ष पूर्व इस मामले को लेकर विवाद तब उठा था, जब नगर निगम ने टीले के सामने लक्ष्मण जी की मूर्ति लगाने का प्रस्ताव किया था, जिसे मुस्लिम उलेमाओं के विरोध के चलते ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

विवाद उठता ही क्यों है??

पिछले वर्ष नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में महापौर संयुक्ता भाटिया ने लक्ष्मण की प्रतिमा के लिए एक करोड़ रुपये का बजट खर्च का प्रस्ताव पास किया था। हालांकि, उस समय यह स्पष्ट किया गया था कि प्रतिमा पुराने लखनऊ के उस लक्ष्मण टीला स्थान पर नहीं लगाई जाएगी, जहां इसे लेकर पूर्व में विवाद उठा चुका है।

 

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