जिले के साढ़े तीन लाख बच्चों को अभी किताबों का इंतजार, पढ़ाई पर असर
रायबरेली। बेसिक स्कूलों में शिक्षण कार्य शुरू हुए पांच माह बीतने को है। अभी तक सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे 45 फीसद बच्चों को नई किताबें नहीं मिली है। किताबों के इंतजार में पढ़ाई गति नहीं पकड़ रही है। बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों को हर रोज पसीना बहाना पड़ रहा है।
जिले में 2299 बेसिक स्कूल संचालित हो रहे हैं। इन स्कूलों पर गांवों के साढ़े तीन लाख बच्चों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी है। योगी सरकार बेसिक स्कूलों को कांवेंट के तर्ज पर संवारकर निजी स्कूलों को तरह बच्चों को शिक्षित करने को कदम उठा भी रही है। बीते दो साल कोरोना के चलते पढ़ाई डांवाडोल रही अब नया शिक्षण सत्र शुरू हुए पांच माह बीत चुके है। 22 लाख 66 हजार तीन सौ अट्ठारह किताबों के सापेक्ष जिले को अभी तक 13 लाख 67 हजार सात सौ अट्ठानवे किताबें ही विभाग को मुद्रकों की ओर से मुहैय्या कराया जा सका है। यानि अभी भी आठ लाख से अधिक किताबों की अभी भी जरूरत है। किताबें न होने से शिक्षकों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।
शिक्षकों का कहना है कि सबसे ज्यादा दिक्कतें होमवर्क देने में है। बच्चों के पास किताबें न होने से गृहकार्य बाधित हो रहा है।
जिले के स्कूल एक नजर में
- 2299 बेसिक स्कूल हो रहे संचालित
- 3.50 लाख बच्चे अध्ययनरत आठ लाख से अधिक किताबों की जरूरत
- 13 लाख से अधिक किताबें मिली
- किताबें मुहैय्या करा रहा शासन
यह किताबे शासन स्तर से ही आएगी। जिले में लगातार किताबें पहुंच रही है। अब तक मिली किताबों का वितरण हो चुका है-शिवेन्द्र प्रताप सिंह, बीएसए रायबरेली
शिक्षक परेशान : जिले के स्कूलों में पर्याप्त किताबें न पहुचने पर शिक्षक भी उहापोह की स्थिति में है। शिक्षकों का कहना है कि बच्चों के सापेक्ष किताबें नहीं मिली है। ऐसे में किसे दें और किसे न दें बच्चे मायूस हो जाते हैं। अभिभावक भी शिकायत लेकर पहुंच आते हैं। बेसिक विभाग के डीसी संजीव गुप्ता ने बताया इसी माह में सभी किताबों के आने की संभावना है। जो किताबें आई थी सभी किताबों का वितरण भी कराया चुका है। इसी माह में सभी किताबें बच्चों तक पहुंच जाएंगी।
रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा