बतौर मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रोफ़ेसर सत्यपाल शर्मा ने कहा कि भारत के स्वाधीनता आंदोलन में हिंदी ने संपर्क भाषा और राष्ट्रभाषा के रूप में राष्ट्रीय एकता की निर्मिति में ऐतिहासिक योगदान दिया। आजादी के बाद संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया। राजभाषा के रूप में हिंदी के विकास के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक प्रयास किए गए हैं।
बदलते समय की चुनौतियों के अनुरूप राजभाषा, संपर्क भाषा और महत्वपूर्ण ज्ञानभाषा बने रहने के लिए हिंदी को तकनीकी रूप से और समृद्ध बनना होगा। हिंदी की सबसे बड़ी ताकत उसके बोलने वालों की बड़ी संख्या है। लोकभाषा और जनभाषा के रूप में हिंदी भारतीय समाज के बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व हजारों वर्षों से करती रही हैI हिंदी का विरोध ज्ञानभाषा अंग्रेजी से नहीं बल्कि राजभाषा अंग्रेजी से है।
सहायक निदेशक राजभाषा बृजेश शर्मा ने बताया कि डाक विभाग की ओर से हिंदी पखवाडे़ में कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें सभी कर्मचारियों, अधिकारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और हिन्दी पखवाड़े को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। इस अवसर पर कवि दान बहादुर सिंह ने अपनी कविताओं से शमां बांधा और लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर निबंध प्रतियोगिता में अभिलाषा राजन, रामचंद्र यादव, अजिता कुमारी, हिंदी टिप्पण एवं आलेखन प्रतियोगिता में शशिकांत वर्मा, राहुल कुमार वर्मा, राकेश कुमार, हिन्दी अनुवाद एवं शब्द ज्ञान प्रतियोगिता में शम्भू प्रसाद गुप्ता, श्रीप्रकाश गुप्ता, मनीष कुमार, हिंदी व्याकरण ज्ञान प्रतियोगिता में रामचंद्र यादव, राहुल कुमार वर्मा, अभिलाषा राजन, हिन्दी टंकण प्रतियोगिता में राकेश कुमार,अजिता कुमारी, मनीष कुमार एवं हिन्दी श्रुत लेखन प्रतियोगिता में प्रशांत पाण्डेय, अखिलेश मौर्य, इन्द्रजीत गौतम को क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार से पोस्टमास्टर जनरल और मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में अधीक्षक डाकघर पी.सी तिवारी, वरिष्ठ लेखाधिकारी एम.पी वर्मा, सहायक अधीक्षक अजय कुमार, सहायक लेखा अधिकारी संतोषी राय, डाक निरीक्षक श्रीकांत पाल, वीएन द्विवेदी, राजेन्द्र यादव, श्रीप्रकाश गुप्ता सहित तमाम विभागीय अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सहायक अधीक्षक अजय कुमार ने किया।