डलमऊ/रायबरेली। लाखो रुपये खर्च होने के बाद भी नही बज सकी शहनाई देखते देखते झाड़ियो के बीच मे तब्दील हो गया बारात घर।सरकार तो गावो में रहने वाले लोगो को किसी प्रकार की समस्या न हो हर एक सुविधा पहुचाने का काम करती हैं लेकिन ब्लाक से लेकर ग्राम प्रधान , सेक्रेटरी,की मिलीभगत से रुपये का जमकर बंदरबाट किया जाता है। सारा कार्य कागजो पर दिखाकर लाखो रुपये निकाल लिए जाते है लेकिन धरातल पर कोई भी कार्य नही दिखाई पड़ता है।
जानकारी के अनुसार विकासखंड डलमऊ के पूरे हन्नु मजरे जोहवा नटकी गांव में बने लगभग पिछले 10 वर्ष पहले लाखों रुपए खर्च करके बारात घर का निर्माण करवाया गया था ग्रामीणों को उम्मीद थी कि यहां पर हमारी बेटियों की बारात आएगी और शहनाई बजेगी बारातियों के रुकने के लिए उत्तम व्यवस्था होगी और शौचालय एवं प्रकाश की व्यवस्था भी मिलेगी पर यहाँ तो रुपया पानी की तरह खर्च कर दिया गया लेकिन किसी गरीब की बेटी की बारात रुकने का सहारा नही बन सका बारात घर वही मानकों को ताक पर रखकर बारात घर का निर्माण हो गया और देखते ही देखते जिम्मेदार लोगों की मिलीभगत से रुपयों का भी जमकर बंदरबांट हो गया।
जिसका नतीजा यह की बारात घर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है बरात घर कुछ ही समय में खंडहर के जैसा और झड़ियों के बीच मे तब्दील हो गया सबसे बड़ा सवाल ये उठता है आज तक किसी भी जिम्मेदार की नजर भी इस बारात घर की तरफ नही गई अगर इस बारात घर मे मरम्मत कार्य व साफ सफाई ,रंगाई पोताई ,पानी की, बिजली की व्यवस्था हो जाये तो किसी गरीब को अपनी बेटी की बारात रोकने में कोई समस्या न हो।
वही ग्रामीणों का कहना है कि बारात घर बने हुए लगभग 10 साल के ऊपर हो रहा है। लेकिन यहां के जिम्मेदारों की लापरवाही की वजह से बारात घर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है और किसी गरीब ने इस बारात घर में अपनी बेटियों की बारात नहीं रुकवाई बरात घर की हालत बेहद खराब होने के चलते बारात यहां नहीं रोकी जाती है। जिस काम के लिए बारात घर बनाया गया था उसका प्रयोग आज तक हुआ ही नहीं बरात घर अब पूरी तरह से अपनी दुर्दशा का शिकार होता जा रहा है।
रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा