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एम्स में 150 से अधिक मरीजों को मिला नया जीवन, पैरों व गले की नसों में ब्लाकेज का बीना चीर फाड़ के इलाज

रायबरेली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स मुंशीगंज के कार्डियोलॉजी विभाग में हार्ड, किडनी,हाथो, पैरों समेत शरीर की सभी बंद नसों का बीना चीर फाड़ के इलाज संभव है। कार्डियोलॉजी विभाग के प्रो डॉ अंकित गुप्ता ने नई तकनीकियों से सुसज्जित कैथ लैब की मदद से तीन माह में एक सौ पच्चास से अधिक लोगों को नया जीवनदान प्रदान किया।

अधीक्षक डॉ. सुयश सिंह ने यह जानकारी देते हुए कहा कि निदेशक अरविंद राजवंशी के अथक प्रयासों से यह सब संभव हो पा रहा है। हार्ड के मरीजों के साथ शरीर की किसी भी कोशिका में ब्लाकेज होने पर शहर के मरीजों को दूसरे शहर जाने की जरूरत नही है। कार्डियोलॉजिस्ट प्रो डॉ अंकित गुप्ता ने बताया कि हार्ड में इस्टेंथ (छल्ले )डालना व हाथ पैर गले व किडनी की नशों के ब्लाकेज को बीना चीर फाड़ के खोलने में लगभग एक से डेढ़ घंटे का समय लगता है।

उन्होंने यह भी बताया कि क्लॉडिकेशन के साथ बुजुर्ग मधुमेह रोगी का प्रति त्वचीय एंजियोप्लास्टी के साथ इलाज सफलतापूर्वक किया गया है।, वह अब 48 घंटे के बाद चल फिर रहे। परिधीय एंजियोप्लास्टी मधुमेह पैर व अन्य परिधीय धमनी रोगों के उपचार की एक नई तकनीक यह पर उपलब्ध है। लगभग सौ वर्ष के मरीज को पेसमेकर डाल कर हार्ड ब्लाकेज को सही किया गया है।

मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हैं। मेडिकल कॉलेज प्रयागराज के एचओडी के दाहिने पैर के नसें ब्लाक हों गई थी। इलाज के बाद अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं।लखनऊ पीजीआई, वेदान्ता, बनारस, प्रतापगढ़ गाजीपुर सहित अन्य शहरों से आए मरीज अब पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं।

रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा

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