लखनऊ। टीबी, एचआईवी और मलेरिया से सम्बन्धित ग्लोबल फण्ड ग्राण्ट की कमेटी ने मंगलवार को केजीएमयू का दौरा किया। ग्लोबल फण्ड राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) को भी सहयोग प्रदान करता है। मुख्यतः जांच, परीक्षण एवं उपचार से संबंधित विभिन्न उपकरणों एवं टीबी से सम्बन्धित मोलिकुलर प्रयोगशाला के लिए फण्ड प्रदान करता है।
इंडिया कन्ट्री कोआर्डिनेटिंग मैकेनिज्म (आईसीसीएम) के अर्न्तगत ग्लोबल फण्ड ग्राण्ट, मल्टीस्टेक होल्डर कार्यरत है। यह ओवर साईट कमेटी एचआईवी, टी.बी. और मलेरिया इन तीन बीमारियों पर काम करती है। इन्हीं बीमारियों का विवरण जुटाने के लिए मंगलवार को टीम ने केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में दौरा किया। इसके साथ ही टीम ने एआरटी सेंटर और माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला का भी दौरा किया। इस दौरान डा. सूर्यकान्त, विभागाध्यक्ष-रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग ने टीम को टी.बी. और एचआईवी के मरीजों का विस्तृत विवरण दिया और इन बीमारियों को लेकर उत्तर प्रदेश की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया।
डा. सूर्यकान्त ने टीम को बताया कि हाल ही में नेशनल स्ट्रेटिजिक प्लान (2017-2025) के तहत राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) देश में ड्रग रेजिस्टेन्ट टी.बी. के मरीजों को बेहतर इलाज प्रदान करने के लिए सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स को विकसित कर रहा है। “सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स” ड्रग रेजिसन्टेन्ट टी.बी. के मरीजों की देखभाल करेंगे और साथ ही नोडल और जिला डीआर टीबी सेन्टर के साथ मिलकर एक सामूहिक उच्च गुणवत्ता परक हब का निर्माण करेंगे। यूपी में केजीएमयू को” सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स” के लिए चुना गया है। ड्रग रेजिस्टेन्ट टी.बी. के उपचार के लिए भारत में सात सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस विकसित किये जा रहे हैं, जिसमें से एक केजीएमयू का रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग भी शामिल है।
डा. सूर्यकान्त ने बताया कि “सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस” के तहत ड्रग रेजिस्टेन्ट ट्यूबरकुलोसिस के खात्मे के लिए प्रदेश के 56 जिला डीआर-टी.बी. सेन्टर, 24 नोडल डीआर-टीबी सेन्टर, उप्र के 67 मेडिकल कालेज में डीआर-टी.बी. के प्रशिक्षण मोनिटरिंग एवं मैनेजमेन्ट एवं शोध का कार्य किया जायेगा। सभी 75 जिलों में टीबी विशेषज्ञों एवं टीबी से सम्बन्धित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को इस कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित किया जायेगा। इसके अतिरिक्त नये शोध एवं नवीन विषयों पर सेमिनार आयोजित कराये जाएंगे। डॉ. सूर्यकान्त जोनल टास्क फोर्स नार्थ जोन एवं उप्र स्टेट टास्क फोर्स (क्षय उन्मूलन) के चेयरमैन भी हैं, विगत कई वर्षों से वह टीबी उन्मूलन में उप्र का देश में नेतृत्व कर रहे हैं।
उनका कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो उप्र के पड़ोसी राज्यों में भी टी.बी. उन्मूलन का कार्य करेंगे। डा. सूर्यकान्त ने बताया कि वर्ष 2021 में उप्र में कुल 456401 टी.बी. के मरीजों का पंजीकरण हुआ, जिसमें 13559 मरीज डी.आर.टी.बी. के थे। वहीं सन् 2022 में उप्र में कुल 388920 टी.बी. के मरीजों का पंजीकरण हुआ, जिसमें 9598 मरीज डी.आर.टी.बी. के थे।