भारतीय सेना चीन से सटी सीमा पर अपनी सैन्य शक्ति को और अधिक मजबूत करने में जुटी है। इसी के तहत घुसपैठ-विरोधी 120 युद्धक सामग्री और 10 हवाई टारगेट सिस्टम की खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
अधिकारियों के मुताबिक, इन हथियारों को भारतीय खरीद श्रेणी के दायरे के भीतर त्वरित प्रक्रिया के तहत खरीदा जा रहा है। उन्होंने बताया कि खरीद के प्रस्ताव या शुरुआती टेंडर के लिए अपील 14 नवंबर के आसपास जारी की जाएगी।
दूसरी ओर, सेना ने अपनी नए डिजाइन और छद्मावरण पैटर्न वाली यूनिफॉर्म का बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) को रजिस्ट्रेशन कराया है।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि डिजाइन और छद्मावरण पैटर्न का विशेष IPR अब पूरी तरह से भारतीय सेना के पास हैं। इसलिए किसी भी ऐसे विक्रेता की ओर से वर्दी का निर्माण करना, जो ऐसा करने के लिए अधिकृत नहीं है, उसे अवैध गतिविधि में संलिप्त माना जाएगा। साथ ही उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा।
मंत्रालय ने कहा, ‘भारतीय सेना के प्रभुत्व को स्थापित करने के लिए नए छद्मावरण पैटर्न और बेहतर डिजाइन वाली वर्दी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया कोलकाता के पेटेंट, डिजाइन एंड ट्रेडमार्क महानियंत्रक की ओर से पूरी कर ली गई है।’
रजिस्ट्रेशन को पेटेंट ऑफिस के आधिकारिक जर्नल में 21 अक्टूबर को प्रकाशित किया गया है। भारतीय थल सेना के सैनिकों के लिए नई डिजिटल पैटर्न कॉम्बैट यूनिफॉर्म का अनावरण 15 जनवरी को सेना दिवस पर किया गया था।
मौजूदा मानकों के तहत, हवाई लक्ष्यीकरण प्रणालियों के लिए 100 किलोमीटर के रेंज की जरूरत होगी। गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ लगी सीमा रेखा को देखते हुए भारतीय सेना अपनी समग्र युद्धक क्षमताओं को बढ़ा रही है। सेना की तोपखाना यूनिट्स ने पहले से ही के-9 वज्र ट्रैक्ड सेल्फ प्रोपेल्ड हॉवित्जर, अल्ट्रा-लाइट एम-777 हॉवित्जर, पिनाका रॉकेट प्रणाली और धनुष बंदूक प्रणाली तैनात की है।