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बनारस रेल इंजन कारखाना स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में भव्य तरीके से ‘जनजातीय गौरव दिवस’ मनाएगा

आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने वाले ये समारोह, जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के देश के लिए दिए गए बलिदान को रेखांकित करेंगे।

  • 15 नवंबर को देश भर के जनजातीय समुदायों के लिए भगवान के रूप में पूजनीय बिरसा मुंडा की जयंती है।

महाप्रबंधक अंजली गोयल के नेतृत्व में बनारस रेल इंजन कारखाना परिसर के स्कूलों, कौशल संस्थानों और शिक्षण संस्थानों में भव्य तरीके से ‘जनजातीय गौरव दिवस’ मनाएगा।

वाराणसी। पिछले साल, सरकार ने वीर जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी। 15 नवंबर, बिरसा मुंडा की जयंती है, जिन्हें देश भर के जनजातीय समुदाय भगवान के रूप में सम्मान देते हैं। बिरसा मुंडा देश के एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और श्रद्धेय जनजातीय नायक थे, जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार की शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और अपने जीवनकाल में ही एक महान व्यक्ति बन गए, जिन्हें अक्सर ‘भगवान’ कहा जाता है।

उन्होंने जनजातियों से “उलगुलान” (विद्रोह) का आह्वान किया तथा जनजातीय आंदोलन को संगठित करने के साथ नेतृत्व प्रदान किया। उन्होंने जनजातियों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों को समझने और एकता का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया।

जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने के लिए, बनारस रेल इंजन कारखाना कार्मिक विभाग, जन संपर्क विभाग एवं कौशल विकास संस्थानों के सहयोग से ‘जनजातीय गौरव दिवस’ मना रहा है।

जनजातीय गौरव दिवस के राष्ट्रव्यापी समारोह में बरेका परिसर स्थित इंटर कॉलेज, सेंट जॉन्स स्कुल, केंद्रीय विद्यालय कंचनपुर,केंद्रीय विद्यालय नं.4, एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों में ‘स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों का योगदान’ विषय पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता एवं खेलकूद संघ द्वारा रस्सा-कस्सी प्रतियोगिता तथा सामाजिक गतिविधियों से जुड़े अन्य कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।

इन समारोहों के दौरान, भगवान#बिरसा_मुंडा और अन्य वीर जनजातीय नायकों के योगदान पर प्रकाश डाला जाएगा। छात्रों को अच्छे काम के लिए सम्मानित भी किया जाएगा। ये समारोह, जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के देश के लिए दिए गए बलिदान को रेखांकित करने, उनकी विरासत को आगे बढ़ाने और जनजातीय संस्कृति, कला व समृद्ध जनजातीय विरासत का संरक्षण करने के लिए आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे।

रिपोर्ट-संजय गुप्ता

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