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परिवार नियोजन : 26 फीसदी प्रसूताओं की पसंद बनी पीपीआईयूसीडी

• प्रसव के 48 घंटे के भीतर महिला की इच्छा पर लगाई जाती है पीपीआईयूसीडी

कानपुर। ‘छोटा परिवार-सुखी परिवार’ के नारे को चरितार्थ करने में परिवार नियोजन के अस्थाई साधन बेहद कारगर साबित हो रहे हैं। अस्थाई साधनों में महिलाओं के बीच त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा के बाद जो साधन सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ है, वह है पोस्टपार्टम इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी)। यह अस्थाई साधन आज 26 फीसदी प्रसूताओं की पहली पसंद बन चुका है। स्वास्थ्य इकाइयों में प्रसूताओं को यह सेवा नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आलोक रंजन ने बताया कि लाभार्थियों को परिवार कल्याण के बारे में जागरूक करने में आशा कार्यकर्ता और एएनएम की प्रमुख भूमिका रहती है। कोरोना संक्रमण के बावजूद जिले की महिलाओं ने संस्थागत प्रसव के तुरंत बाद पीपीआईयूसीडी विधि को अपनाने में दिलचस्पी दिखाई। साल दर साल इसका आंकड़ा भी बढ़ रहा है, जो कि अच्छा संकेत है। लोग #परिवार_नियोजन के कार्यक्रमों के प्रति जागरूक हो रहे हैं। वर्ष 2022-23 में अभी तक 28,572 संस्थागत प्रसव के बाद 26.6 फीसदी यानी 7612 महिलाओं ने पीपीआईयूसीडी के विकल्प को चुना है।

गर्भाशय के भीतर लगने वाला सुरक्षित उपकरण

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व आरसीएच के नोडल अधिकारी डॉ. एसके सिंह ने बताया कि प्रसव के 48 घंटे के अंदर महिला आईयूसीडी लगवा सकती है। एक बार लगने के बाद इसका असर पांच से दस साल तक रहता है।

बच्चों के जन्म के बीच अंतर रखने की यह लंबी अवधि की विधि बहुत ही सुरक्षित और आसान भी है। यह गर्भाशय के भीतर लगने वाला छोटा उपकरण है जो कि दो प्रकार का होता है- पहला कॉपर आईयूसीडी 380 ए- जिसका असर दस वर्षों तक रहता है, दूसरा है- कॉपर आईयूसीडी 375 जिसका असर पांच वर्षों तक रहता है।

लाभार्थी संतुष्ट, बोले अच्छा विकल्प

तीन साल पूर्व पहले बच्चे को जन्म देने के बाद ब्लॉक कल्याणपुर की प्रेमवती ने पीपीआईयूसीडी का विकल्प चुना था। इन तीन सालों में उन्हें इस डिवाइस को लगवाने के बाद किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं आई, आज वह संतुष्ट हैं। इसी वर्ष मई माह में ब्लॉक बिधनू की आरती ने भी पीपीआईयूसीडी विकल्प का चुनाव किया। सीएचसी में पहले बच्चे के जन्म के बाद आरती को वहीं से जानकारी मिली और वह इसके लिए राजी हो गयीं ।

प्रसव के बाद होती है महिलाओं की काउंसिलिंग

जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सीमा श्रीवास्तव बताती हैं कि प्रतिदिन 20 से 30 महिलाएं पीपीआईयूसीडी के बारे में जानकारी लेने आती हैं। ऐसी महिलाओं की परिवार नियोजन की काउंसलर द्वारा काउंसिलिंग की जाती है। #प्रसव के बाद भी महिलाओं को वार्ड में जाकर इस अस्थाई साधन के बारे में बताया जाता है। अगर प्रसूता अपनी सहमति देती है तो उसे लगा दिया जाता है। यह एक अत्यधिक प्रभावी, लंबे समय तक काम करने वाली परिवार नियोजन विधि है।

साल दर साल बढ़ रहा है आंकड़ा

जनपदीय परिवार नियोजन विशेषज्ञ ने बताया कि वर्ष 2019-20 में 23,695 प्रसव के सापेक्ष 4,485, वर्ष 2020-21 में 54,863 प्रसव के सापेक्ष 6,335 और वर्ष 2021-22 में 59509 प्रसव के सापेक्ष 12780 महिलाओं ने पीपीआईयूसीडी के विकल्प को चुना।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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