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कर्ज के संकट से जूझ रहा पाकिस्तान, कहा कश्मीर को ऐसा…

र्ज के संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के नेता अब जम्मू-कश्मीर मसले की आड़ लेकर जनता को बरगलाने में जुटे हैं। पहले पीएम शहबाज शरीफ ने न्यूक्लियर हथियारों की घुड़की दिखाते हुए कहा था कि भारत ने हिमाकत की तो हम उसे कुचल देंगे।

अब विपक्ष के नेता इमरान खान ने भी जम्मू-कश्मीर का राग अलापा है। इमरान खान ने कहा है कि भारत के साथ संबंध तभी आगे बढ़ाए जा सकते हैं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर के विशेष दर्जे को बहाल करें। भारत की संसद से पारित प्रस्ताव के तहत संविधान के अनुच्छेद 370 को 2019 में रद्द कर दिया था, जो जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता था। इसके अलावा राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों के तौर पर पुनर्गठित किया गया है।

खान ने लाहौर स्थित अपने जमान पार्क निवास में विदेशी मीडिया से बातचीत के दौरान मंगलवार शाम को कहा, ‘भारत ने कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया है। अब भारत के साथ वार्ता तभी हो सकती है जब मोदी (के नेतृत्व वाला) प्रशासन इसे (विशेष दर्जे को) बहाल करे।’ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के नेता ने कानून के शासन संबंधी एक अन्य सवाल के जवाब में कहा, ‘यदि कानून का शासन नहीं हो, तो पाकिस्तान का कोई भविष्य नहीं होगा। उदाहरण के लिए भारत को लीजिए। उसने कानून के शासन के कारण प्रगति की।’

खान ने आरोप लगाया कि उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ उन्हें अयोग्य घोषित कराना चाहते हैं। खान ने नवाज शरीफ पर पूर्व सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा के सेवा विस्तार पर संसद में मतदान के दौरान बाजवा के साथ सौदा करने का भी आरोप लगाया। इमरान खान ने कहा कि उन्हें यह समझ नहीं आता कि सैन्य प्रतिष्ठान ‘शरीफ और जरदारी जैसे भ्रष्ट अपराधियों का पक्ष’ कैसे ले सकता है। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तानी सेना और लोगों के बीच एक स्पष्ट खाई है। वे इस देश को लूटने वालों को सेना के समर्थन देने से नाराज हैं। मैं आपको बता दूं कि यह देश के लिए बहुत खतरनाक है।’

इमरान खान का कहना है कि उन्हें अदालत से उम्मीद है कि वह पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा के विधानसभा चुनाव कराने को मंजूरी देगी। इन दोनों राज्यों में विधानसभाएं भंग हो गई हैं और 90 दिन के अंदर चुनाव कराए जाने चाहिए।

इमरान खान को शहबाज शरीफ की पार्टी ने अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के जरिए सत्ता से बेदखल कर दिया था। खान ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ गठबंधन ने सैन्य प्रतिष्ठान में अपने आकाओं के समर्थन से उन्हें राजनीति से निकालने के लिए साजिश रची। यह पूछे जाने पर कि क्या सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर भी इस प्रकार के प्रयासों में शामिल थे, उन्होंने कहा, ‘वह दो महीने से कार्यालय में नहीं हैं और मैं उन्हें संदेह का लाभ देता हूं।’

 

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