• हमारे विचारों और संस्कारों पर पड़ता है संस्कृत पढने का प्रभाव
• 20 दिवसीय ऑनलाइन संस्कृत सम्भाषण कक्षा का बौद्धिक सत्र सम्पन्न
लखनऊ। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ की ओर से चलाए जा रहे संस्कृत भाषा शिक्षण कक्षा के अन्तर्गत मार्च में 20 दिवसीय ऑनलाइन संस्कृत सम्भाषण कक्षा का बौद्धिक सत्र रविवार को संपन्न हुआ। प्रत्येक माह चलने वाली कक्षाओं में समूचे देश से जुड़े लोग संस्थान की वेबसाइट पर पंजीकरण कर निःशुल्क शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
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कक्षाएं संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव की देखरेख में चल रही हैं। उन्होंने बताया कि विश्व की समस्त भाषाओं में सर्वोत्कृष्ट रूप में संस्कृत का नाम लेकर प्रत्येक भारतीय गौरवान्वित होता है। संस्कृत केवल भाषा का नाम नहीं, अपितु सर्वोत्तम जीवनशैली का पथ-प्रदर्शक भी है।
बौद्धिक सत्र कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप मे हमीरपुर के जिलाधिकारी डॉ चन्द्रभूषण त्रिपाठी (Dr. Chandrabhushan Tripathi) ने कहा कि संस्कृत पढने से ही समाज में व्याप्त विसंगतियों का समाधान संभव है, प्रत्येक व्यक्ति इस महान और प्राचीनतम भाषा से जुड़ा है और प्रभावित हुआ है, इसलिए हम सभी को मिलकर समाज में व्याप्त कुरीतियों एवं भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए संस्कृत के प्रति लोगों को जागरूक करना चाहिए।
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इस दिशा में उत्तर-प्रदेश सरकार की पहल पर उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की निःशुल्क कक्षाएं लग रही हैं। संस्कृत पढने का प्रभाव हमारे विचारों और संस्कारों पर पड़ता है जो अतुलनीय है। संचालन प्रशिक्षक सत्यम मिश्र ने किया। मिश्री लाल ने वैदिक मंगलाचरण किया। अतिथियों का परिचय एवं स्वागत भाषण प्रशिक्षक ओमदत्त द्विवेदी ने किया। छात्र अमन पाण्डेय ने स्वागत गीत एवं रूपम, ऊषा ने अनुभव बताया।
प्रशिक्षिका सविता मौर्या ने आये हुये अतिथियों, छात्रों प्रशिक्षकों एवं संस्थान के अधिकारियों कर्मचारियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। आर्यन द्विवेदी ने शांति मंत्र से सत्र का समापन किया। इस अवसर पर संस्थान के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी दिनेश मिश्र, प्रशिक्षण समन्वयक धीरज मैठाणी, दिव्यरंजन, राधा शर्मा, राजन दुबे, गणेश दत्त, सचिन शर्मा, आदि मौजूद रहे।