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टीबी के इलाज में आर्थिक तंगी नहीं बनेगी बाधा, क्षयरोग विभाग का वादा

• क्षयरोग का कोर्स पूरा करने में ही है समझदारी – जिला क्षय रोग अधिकारी

• जनपद की आठ टीबी इकाईयों पर मुफ्त इलाज के साथ सही परामर्श उपलब्ध

• निक्षय पोषण योजना के तहत प्रतिमाह मिलती है 500 रूपए की धनराशि

औरैया। अगर आप क्षय रोगी हैं तो आपके इलाज में आर्थिक तंगी जैसी कोई बाधा नहीं आएगी। इलाज चाहे निजी चिकित्सालय में ही क्यों न करवा रहे हों। बस एक सूचना क्षय रोग केंद्र में दें और आपका पूरा इलाज हो जाएगा। शर्त बस इतनी है कि टीबी की दवा का कोर्स बीच न छोड़ें और दवा का पूरा कोर्स करें। टीबी के इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत उचित पोषण के लिए सरकार द्वारा प्रतिमाह ₹500 की राशि भी मुहैया करवाई जाती है।

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जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ संत कुमार ने बताया की टीबी से घबराएं नहीं, इसे खत्म करने के लिए पूरा इलाज कराएं। दो से तीन हफ्ते तक लगातार इलाज कर लिया जाए तो इसके बैक्टीरिया निष्क्रिय हो जाते हैं। बैक्टीरिया में संक्रमण फैलाने की क्षमता खत्म हो जाती है। उन्होंने टीबी मरीजों से भेदभाव न करने की भी अपील की और कहा कि बार-बार टीबी का इलाज छोड़ना घातक हो सकता है। इससे मरीज़ दवाओं के प्रति रजिस्टेंट हो जाता है। नतीजतन टीबी की सामान्य दवाएं बेअसर हो जाती है। मरीज़ घातक टीबी की चपेट में आ सकता है। इसका इलाज दो साल चलता है। कहा कि दवा संग अच्छा पोषण मरीज को जल्द सेहतमंद होने में मदद करता है।

टीबी के इलाज में आर्थिक तंगी

उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एपी सिंह बताते हैं कि टीबी होने पर बिना किसी अंतराल के दवा का कोर्स पूरा करना चाहिये। उनका कहना है की बहुत सारे कारणों से कुछ क्षयरोगी दवा बीच में ही छोड़ देते हैं जिसकी वजह से टीबी और भी ज्यादा गंभीर और कष्टदायी हो जाती है जिसका इलाज भी लम्बा होता है। इसके मुख्य कारणों में हैं आर्थिक तंगी, घर से अस्पताल की दूरी और शुरूआती महीनों में बेहतर महसूस करने पर। पर अब क्षयरोग विभाग किसी भी कारण को इलाज के आड़े नहीं आने देगा।

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उन्होंने बताया की यदि कोई क्षयरोगी अपना इलाज निजी संस्थान में ले रहा हो और वह पैसों की कमी या उसके घर की दूरी अस्पताल से ज्यादा होने के कारण इलाज लेने में असमर्थ है तो ऐसे में जरुरत है की वह इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग या क्षयरोग विभाग को दे। इस स्थिति में विभाग द्वारा जहां आपका इलाज चल रहा था वहां मुफ्त दवायें उपलब्ध करवा दी जायेंगी। इसके साथ ही अगर घर से केंद्र क दूरी ज्यादा है तो विभाग द्वारा घर के नजदीक ट्रीटमेंट सप्पोर्टर की नियुक्ति करवाई जायेगी जो घर पर ही दवायें उपलब्ध करवा देगा। उनका कहना है की विभाग का मुख्य उद्देश्य है की क्षयरोग का इलाज पूरा हो और दवा बीच में ना छूटे।

जांच की है पूरी व्यवस्था, इलाज में न करें देरी

राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जिला पीपीएम समन्वयक रविभान सिंह ने बताया कि जिले में कुल आठ टीबी यूनिट हैं। जांच के लिए 14 माइक्रोस्कोपिक सेंटर हैं, जहां बलगम की जांच होती है। दो एलईडी माइक्रोस्कोप हैं, एक सीबीनाट व चार टू-नाट मशीन है। एक डीआरटीबी सेंटर है, जिसमें चार बेड हैं। जिले में जांच और इलाज की पूरी व्यवस्था है तो ऐसे में लक्षण जैसे- दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी-बुखार आने, बलगम से खून आने, वजन गिरने आदि की समस्या नजर आने पर जांच में देरी न करें। स्वास्थ्य विभाग की इन सुविधाओं का लाभ उठाते हुए घर-परिवार और समाज को भी टीबी से सुरक्षित बनाएं।

इन आठ केंद्रों पर आप बिना किसी झिझक जाकर क्षयरोग के बारे में जानकारी, सही परामर्श और दवायें पा सकते हैं।

  1. जिला क्षयरोग केंद्र, औरैया
  2. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अयाना
  3. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिधूना
  4. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एरवाकटरा
  5. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दिबियापुर
  6. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अछल्दा
  7. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अजीतमल
  8. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहार

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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