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योगी ने बनाया सुशासन को मुद्दा

योगी आदित्यनाथ के सुशासन में संस्कृति और विकास दोनों का समावेश है। इसमें कानून व्यवस्था को सुदृढ़ रखने की इच्छाशक्ति है, माफियाओं को मिट्टी में मिलाने का साहस है। बीमारू प्रदेश को उद्योगीकरण की तरफ ले जाने जज्बा है। बिना भेदभाव के योजनाओं से लोगों को लाभान्वित करने का विचार है। योगी सरकार ने विगत छह वर्षों में सुशासन के इस सिद्धांत को साकार किया है।

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नगर निकाय चुनाव प्रचार से पहले वह श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में पूजा अर्चना करने पहुँचे। यह यात्रा संस्कृति के साथ ही तीर्थाटन और पर्यटन को अर्थव्यवस्था के समग्र में जोड़ने की नीति के अनुरूप है। इसके अनुरूप सभी तीर्थ नगरों का विश्व स्तरीय विकास किया जा रहा है। काशी में दर्शन पूजन के बाद वह निकाय प्रचार के पहले दिन उन्होंने सहारनपुर, शामली और अमरोहा में जनसभा को संबोधित किया।

योगी आदित्यनाथ

उन्होंने सुशासन को चुनाव का मुद्दा बनाया है। इस सम्बन्ध भाजपा के पास कहने को बहुत कुछ है. विपक्ष इससे बचने का प्रयास करता रहा। पिछले विधानसभा चुनाव में भी यही परिदृश्य था। विपक्ष अपने उन्हीं मुद्दो में सिमटा है। दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ माफियाओं के विरुद्ध अभियान चला रहे हैं। उन्होंने ने सुशासन को अपने अंदाज में बयान किया। उन्होंने कहा कि- नो कर्फ्यू नो दंगा, यूपी में सब चंगा, रंगदारी ना फिरौती, अब यूपी नहीं है किसी की बपौती।

माफिया-अपराधी हो गये अतीत, यूपी बना है सुरक्षा, खुशहाली और रोजगार का प्रतीक।

उपद्रव की नहीं,उत्सव बने यूपी की पहचान, माफिया नहीं महोत्सव का प्रदेश। नरेन्द्र मोदी का विजन ही यूपी का मिशन है।

योगी आदित्यनाथ ने विकास को बुलेट ट्रेन की गति देने के लिए डबल इंजन की ताकत के साथ नगर निकायों के ट्रिपल इंजन को भी जोड़ने का आह्वान किया. कहा कि छह वर्ष पहले कैराना, कांधला में पलायन, गुंडाराज,दंगों का दंश, बुनियादी सुविधाओं का अभाव था। नौजवानों को नौकरी नहीं थी।

व्यापारी रिस्क लेकर व्यापार करता था। उनसे गुंडा टैक्स की वसूली होती थी। पचहत्तर में इकहत्तर जनपद अंधेरे में रहते थे। आज माहौल पूरी तरह बदल चुका है. आज बेटियां कहती हैं कि जब बाबा मुख्यमंत्री हैं तो हमें कैसा डर। यह विश्वास ही हमारी ताकत है। पूरे प्रदेश में विकास कार्य हो रहे हैं। अमरोहा बहुत जल्द दो दो एक्सप्रेसवे से जुड़ने वाला जिला बनने जा रहा है। यहां के तिगरी मेले को हमने राज्य मेले का दर्जा दिया है।

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अब अमरोहा गुंडे, बदमाश, अपराधी और उपद्रवों की नहीं, महोत्सव की भूमि बन चुका है। अमरोहा वालों ने ढोलक बजाकर अपनी प्राचीन कला को ऊंचाई दी है, तो हमने भी ढोलक बजाकर प्रदेश से माफिया को रसातल में पहुंचा दिया है। विकास के लिए पैसे की आज कोई कमी नहीं है। जो पैसा दिल्ली और लखनऊ से यहां पहुँचने वालीं धनराशि गरीब और नौजवानों के काम में लग रही है।

रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री

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