सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह हिट एंड रन मामलों में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को और गंभीर रूप से घायलों को दिए जाने वाले मुआवजे की राशि को बढ़ाने पर विचार करे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस फैसले पर विचार के लिए आठ हफ्तों का समय दिया है और 22 अप्रैल को अगली सुनवाई पर जानकारी देने का निर्देश दिया है।
साल दर साल बढ़ रहे हिट एंड रन के मामले
मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति को कोई वाहन टक्कर मारकर फरार हो जाता है और इस हादसे में पीड़ित की मौत हो जाती है तो उसे अधिकतम दो लाख रुपये का मुआवजा मिलता है। वहीं गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को 50 हजार रुपये की आर्थिक मदद मिलती है। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को भी हिट एंड रन के पीड़ितों के परिजनों को कानून के तहत मुआवजा योजना की जानकारी देने को भी कहा है। जस्टिए एएस ओका और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा हर साल हिट एंड रन के मामलों के आंकड़ों की जानकारी दी जाती है। इनसे पता चलता है कि साल दर साल हिट एंड रन के मामलों में तेजी आ रही है। बीते साल सड़क परिवहन मंत्री ने लोकसभा में भी इसकी जानकारी दी थी।
बेहद कम संख्या में लोगों को मिला कानून का फायदा
आंकड़ों के अनुसार, साल 2016 में हिट एंड रन के मामले 55,942 थे। 2017 में 65,186 और 2018 में 69,621 हो गए। वहीं 2019 में भी ये मामले 69,621 रहे। बीते पांच सालों में हिट एंड रन से 660 लोगों की मौत हुई है और 113 लोग घायल हुए हैं, जिनमें कुल एक करोड़ 84 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है। पीठ ने कहा कि जितने मामले दर्ज किए गए है और जितने लोगों को मुआवजा मिला है, वह बेहद कम हैं। इससे पता चलता है कि बेहद कम संख्या में लोगों का कानून का फायदा मिला है। इसकी एक वजह ये हो सकती है कि लोगों को इस कानून की जानकारी ही नहीं है। समय के साथ पैसे की कीमत कम होती है। ऐसे में हम केंद्र सरकार को निर्देश देते हैं कि हिट एंड रन मामले में मुआवजे की राशि बढ़ाई जाए। सरकार इस मामले में अगले आठ हफ्तों में फैसला ले।