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प्रकृति की देन, पौधों में मौजूद है औषधीय गुण

नीम, कुरकुमालौंगा, लहसुन, अदरक, अंगूर, मेथी, करेला, अनार, शतावरी, मुंगना (सहजन), उलटकंबल, श्योनाक इत्यादि अनेक ऐसे पौधे हैं जिनके सेवन से रक्त में शर्करा का स्तर घट जाता है।

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हाल ही में करंट साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में ऐसा पढ़ने में आया है कि इन पौधों में मधुमेहरोधी गुण पाये गये हैं। हालांकि उस अध्धयन में उपरोक्त के अलावा भी कुछ और पौधों का उल्लेख है।और इनका चूहों पर परीक्षण भी किया जा चूका है।

प्रकृति की देन, पौधों में मौजूद है औषधीय गुण

परीक्षण में इस तरह के पौधों में एंटीऑक्सीडेंट गुण जानकारी में आये, जो किडनी में ऑक्सीडेंटिव तनाव को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। जैसा सभी पाठक जानते हैं मधुमेह रोगियों में किड़नी खराब होने की प्रबल सम्भावना रहती है। और इस तरह के अध्ययनों से ऐसा विश्वास उत्पन्न हुआ है कि इन औषधीय पौधों से जो दवायें विकसित की जायेंगी उनसे किड़नी का समुचित प्रभावी इलाज हो पायेगा।

उपरोक्त के अलावा पीपल, बेलपत्र (फल), बरगद (बड़), आंवला एवं अशोक वृक्ष भी औषधीय गुणों से भरपूर हैं। इन सबके बारे में भी संक्षेप में निम्न प्रमुख जानकारी सांझा कर रहा हूं..

इसी तरह पीपल एक ऐसा पौधा है जिसमें से न केवल प्राणवायु (ऑक्सीजन) निकलती है बल्कि इसके साथ ओज़ोन गैस भी। पीपल की जड़ एवं पत्ते अनेक रोगों जैसे अस्थमा, त्वचा सम्बन्धित सहित अनेक रोगों की दवा बनाने में उपयोग किये जाते हैं।इसी क्रम में बेलपत्र में प्रोटीन, विटामिन ए एवं बी वगैरह तत्व तो बेलफल में कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, प्रोटीन वगैरह पाते जाते हैं। इसका भी उपयोग त्वचा सहित अनेक रोगों की दवा तैयार करने में लिया जाता है।

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जहां तक बड़ का सवाल है तो जान लें बड़ का दूध बहुत बलदायी माना जाता है। इसलिये बड़ के दूध के सेवन से शरीर का कायाकल्प हो जाता है। वहीं बरगद के पेड़ से भी आयुर्वेद में अनेक तरह के इलाज किये जाते हैं जिसमें धातु सम्बन्धित रोग को ठीक करने में इसे रामबाण औषधि माना जाता है।

चूंकि चरक संहिता में एक सौ रोगों के निदान हेतु आंवला को एकदम उपयुक्त बताया गया है इसलिये ही आंवले को आयुर्वेद में अमृत फल माना जाता है। इसका काष्ठोषधि एवं रसौषधि अर्थात दोनों तरह की औषधि निर्माण में काम में लेते हैं। जैसा आप सभी जानते हैं आंवले का प्रयोग न केवल बालों की हर तरह की देखभाल के लिये बल्कि त्रिदोष, कब्ज, मूत्र विकार इत्यादि रोगों के लिये लाभकारी सिद्ध हुआ है।

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अब आपके ध्याननार्थ बता दूं कि आयुर्वेद में अशोक वृक्ष स्त्री विकारों को दूर करने वाला प्रमुख वृक्ष माना जाता है। इसलिये आवश्यकता यही है कि इस तरह के सभी औषधीय पौधों पर और गहन अध्ययन किया जाय ताकि आने वाले समय में इनका उपयोग दवायें बनाने में और ज्यादा हो सके।

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