भारत नई समयसीमा के तहत अगले साल तक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली एस-400 ट्रायम्फ की शेष दो रेजिमेंट हासिल करने के लिए तैयार है। यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर इसकी आपूर्ति में कुछ देरी हुई। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
रूस पहले ही 5.5 अरब डॉलर के सौदे के तहत भारत को लंबी दूरी की इस मिसाइल प्रणाली की तीन इकाइयों की आपूर्ति कर चुका है। सूत्रों ने बताया कि सितंबर तक भारत को युद्धपोत तुशिल भी मिलने की उम्मीद है। इस रूस के द्वारा निर्मित किया गया है। उन्होंने कहा कि दूसरा युद्धपोत तमाल की जनवरी में रूस द्वारा आपूर्ति की जाएगी।
उन्होंने बताया कि मूल समयसीमा के मुताबिक जहाजों की आपूर्ति 2022 तक होनी थी। लेकिन यूक्रेन में युद्ध के कारण डिलीवरी में देरी हुई। रूस 2018 में हुए चार फ्रिगेट सौदे के तहत स्टील्थ फ्रीगेट की आपूर्ति कर रहा है। शेष दो जहाज भारत में बनाए जा रहे हैं। एस-400 मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति अगले साल तक पूरी हो जाएगी।
चीन से पैदा होने वाली सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत मिसाइल प्रणालियां खरीद रहा है, ताकि अपनी वायु शक्ति क्षमता को बढ़ाया जा सके। भारत ने अक्तूबर 2018 में रूस के साथ एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की पांच इकाई खरीदने के लिए 5.5 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि, अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि अनुबंध आगे बढ़ने पर सीएएटीएसए के तहत प्रतिबंध लग सकते हैं।
सीएएीएसए रूसी रक्षा और खुफिया क्षेत्रों के साथ लेनदेन में लगे किसी भी देश के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान करता है। रूस ने दिसंबर 2021 में मिसाइल प्रणाली की पहली रेजीमेंट की आपूर्ति शुरू की और इसे भारत के उत्तरी क्षेत्र में चीन के साथ लगी सीमा और पाकिस्तान के साथ लगी सीमा को कवर करने के लिए तैनात किया गया है। एक सूत्र ने कहा, आपूर्ति 2024 तक पूरी होनी थी। रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण एस-400 मिसाइलों की आपूर्ति में कुछ देरी हुई। आपूर्ति के लिए एक नई समयसीमा तय की गई है।