पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश ने फैसला सुनाया कि चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट या सरकार के अधीन नहीं है। बल्कि एक स्वतंत्र प्राधिकरण है, जिसे चुनाव कराने की संवैधानिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग तभी कर सकता है, जब उसे विश्वास हो कि आयोग अपनी संवैधानिक भूमिका से परे चला गया है।
पाकिस्तान की विधानसभाओं में आरक्षित सीटों को लेकर कानूनी खींचतान चल रही है। वहीं इसी बीच मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने फैसला सुनाया है कि चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट या सरकार के अधीन नहीं है, बल्कि एक स्वतंत्र प्राधिकरण है जिसे चुनाव कराने की संवैधानिक भूमिका दी गई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को महिलाओं और गैर-मुस्लिम उम्मीदवारों को आरक्षित सीटें देने से इनकार करने के खिलाफ सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल (एसआईसी) की अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण अदालत की सुनवाई की अध्यक्षता कर रहे थे। सुनवाई पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग तभी कर सकता है, जब उसे विश्वास हो कि आयोग अपनी संवैधानिक भूमिका से परे चला गया है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सभी संस्थानों को आदर्श रूप से अपने निर्धारित क्षेत्र में काम करना चाहिए।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) को 2018 के चुनाव परिणामों के आधार पर राजनीतिक दलों के बीच आरक्षित सीटों के आवंटन के फार्मूले को लागू करके गणना करने का आदेश दिया, जिसमें अंतर को समझने के लिए निर्दलीय उम्मीदवारों को शामिल करने के साथ-साथ उन्हें शामिल भी किया गया। पीठ 8 फरवरी के चुनावों के परिणामों पर लागू आरक्षित सीटों के आवंटन की वास्तविक गणना को समझने का इरादा रखती है। वहीं पिछले महीने ईसीपी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी समर्थित सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल (एसआईसी) आरक्षित सीटों के लिए पात्र नहीं है। इसका कारण यह है कि पार्टी गैर-मुस्लिमों को इसका हिस्सा बनने की अनुमति नहीं देती है। ईसीपी ने 8 फरवरी को हुए आम चुनावों के बाद राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित सीटों पर अपने दावे की अस्वीकृति के खिलाफ एसआईसी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक जवाब दायर किया। इसमें ईसीपी ने कहा कि एसआईसी को आरक्षित सीटें आवंटित नहीं की जा सकती हैं, जिसका समर्थन 71 वर्षीय खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) द्वारा किया जाता है।