गणेश चतुर्थी पर्व हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है, जो भगवान् गणेश (Lord Ganesha) के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं। और उन्हें विधि-विधान से पूजते हैं। गणेश चतुर्थी 7 सितंबर आज मनाया जा रहा है। सभी त्योहारों में गणेश महोत्सव बहुत ही खास होता है। भाद्रपद मास की गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) बहुत ही खास मानी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी को मनाया जाता है।
मान्यता यह है कि इस दिन गणेश जी का प्राकट्य हुआ था। मान्यता यह भी है कि इस दिन भगवान गणेश धरती पर आकर अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। गणेश चतुर्थी की पूजा की अवधि जिसमें गणेश जी धरती पर निवास करते हैं यह अनंत चतुर्दशी तक चलती है। इन 10 दिनों को गणेश महोत्सव के नाम से जाना जाता है। गणेश चतुर्थी का पर्व 7 सितंबर आज से शुरू हो रहा है, और 17 सितंबर को यह पर्व अनंत चतुर्दशी पर समाप्त हो जायेगा।
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पहले स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें और पूजा स्थल की सफाई कर लें। एक चौकी तैयार करें और उसपर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछा लें। इसके बाद चौकी पर भगवान् गणेश जी को स्थापित करें।
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इसके उपरांत भगवान् गणेश को पंचामृत से स्नान कराएं। फिर उन्हें वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद उन्हें तिलक लगाएं और अक्षत चढ़ाएं।फिर भगवान् गणेश जी को भोग चढ़ाएं।इसके बाद गणेश चालीसा का पाठ करें। श्री गणेश जी की आरती करें। ध्यान रखें पूजा के समय भगवान गणेश जी को दूर्वा जरूर अर्पित करें। दूर्वा (दूब) के बिना गणेश जी की पूजा अधूरी मानी जाती है।
इन चीजों को गणेश चतुर्थी में श्री गणेश की पूजा में अर्पित किया जाता है। गंगाजल, धूप, दीप, इत्र कपूर, मूर्ति स्थापित करने के लिए चौकी, लाल रंग का कपड़ा, दूर्वा, (दूब)जनेऊ, रोली, कलश, मोदक, फल, सुपारी, लड्डू, मौली, पंचामृत, लाल चंदन, पंचमेवा आदि। श्री गणेश जी अर्पित करें। दूर्वा (दूब) का विशेष महत्व माना जाता है। इसलिए दूर्वा अवश्य शामिल करें।
गणेश चतुर्थी का दिन भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान लोग अपने घरों, मंदिरों, और इत्यादि जगहों पर भगवान गणेश की मूर्ति और प्रतिमा लाकर बड़े ही धूमधाम के साथ इस पर्व को मानते हैं। कहा जाता है कि भगवान गणेश को अपने घर लाने, उनकी पूजा अर्चना करने से, व्यक्ति को जीवन में सफलता और समृद्धि मिलती है।अपनी सामर्थ्य अनुसार पूजा करनी चाहिए।
रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह