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रविवार विशेष: अयोध्या के सूर्य कुंड में स्नान व सूर्य मंदिर में दर्शन करने से पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं

• सूर्यवंशियों के आस्था का प्रतीक है सूर्य कुंड

अयोध्या। अयोध्या ले लगभग चार किलोमीटर की दूर दर्शन नगर में चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग पर स्थित सूर्य कुंड (Surya Kund) और सूर्य मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। माना जाता है कि इस कुंड का निर्माण अयोध्या के सूर्यवंशी शासकों ने किया था।

इस कुंड के साथ ही भगवान सूर्य का एक मंदिर भी है। जो सूर्यवंशियों के लिए सूर्य देव की आस्था का प्रतीक माना जाता है। वेदों में भगवान सूर्य को जड़-चेचन जगत की आत्मा कहा गया है। सूर्यवंशी राजा घोष का कुष्ठरोग इस कुंड में स्नान करने से ठीक हुआ था। मान्यता है कि इस सूर्य कुंड में स्नान और सूर्य मंदिर में दर्शन-पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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कथा यह भी है कि सूर्य मंदिर और कुंड के जीर्णोद्धार से पूर्व इस स्थान को ‘घोषार्क तीर्थ’ के नाम से भी जाना जाता था।इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में भी इसका जिक्र किया है। साथ ही इस तीर्थ का वर्णन स्कंद पुराण में भी है। जिसमें वर्णन है कि इस तीर्थ में स्नान आदि से सभी पापों का नाश हो जाता है। कथा के अनुसार राजा घोष एक बार इस क्षेत्र में निकले तो देखा कि कुंड में कुछ ऋषि स्नान कर रहे है।

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राजा की इच्छा भी कुंड में स्नान की हुई. बताते हैं कि स्नान के बाद राजा का शरीर दिव्य हो गया।बाद में ऋषियों ने उन्हें तीर्थ के महात्म्य के विषय में बताया।जिसके बाद राजा ने वहां सूर्यदेव की आराधना प्रारंभ की। जिसके बाद सूर्य देव ने उन्हें दर्शन दिए।जिसके बाद राजा ने सूर्य मंदिर का निर्माण कराया।उसी समय से इस तीर्थ का नाम घोषार्क पड़ गया। जिसे बाद में सूर्य कुंड और सूर्य मंदिर के नाम से पहचाना जाने लगा।

रविवार विशेष: अयोध्या के सूर्य कुंड में स्नान व सूर्य मंदिर में दर्शन करने से पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं

इस स्थान पर हर वर्ष बड़े रविवार (महा रविवार) को भाद्रपद के अंतिम रविवार को विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है। इस अवसर श्रद्धालु सूर्य कुंड सरोवर में स्नान कर प्राचीन सूर्य मंदिर में पूजा अर्चना करेंगे मेले में झूला व काष्ट शिल्प की दुकानें लगती हैं ।जिसका प्रबंधन राजा दर्शन सिंह के वंशज आज भी करते हैं। सूर्य मंदिर का रखरखाव अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी प्रबंधन द्वारा किया जाता है।

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इस मंदिर में सूर्य देव की प्रतिमा के अतिरिक्त उनके चरणों में दोनों ओर सूर्य पुत्र और पुत्री शनि देव और यमुना देवी की अष्टधातु की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। सूर्य कुंड की खोदाई से प्राप्त एक और सूर्य की प्रतिमा को भी वहीं स्थापित किया गया है. गर्भगृह में राम-जानकी, शिव-पार्वती, गणेश-कार्तिकेय, हनुमान जी तथा शालिग्राम के विग्रह भी स्थापित किए गए हैं।

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प्रतिदिन शाम के समय इस कुंड में लाइट एंड साउंड शो का आयोजन भी किया जाता है। जिसमें सूर्यवंश की महिमा और सूर्य मंदिर के इतिहास के विषय में बताया जाता है। यह भी कहा जाता है कि जब श्रीराम का राज्याभिषेक हो रहा था, तब सभी सभी देवी-देवता अयोध्या आए थे। इनमें सूर्य देव भी शामिल थे। वह इसी स्थान पर रुके थे। जिसे आज सूर्य कुंड के नाम से जाना जाता है। यह सुबह आठ बजे से रात 10 बजे तक यह स्थान दर्शनार्थियों के लिए खुला रहता है।

रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह

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